कौन बनता है अंतरिक्षयात्री
भारत की पहली समनाव अंतरिक्ष उड़ान का समय एक बार फिर टल गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 'इसरो' के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने गत अगस्त में बताया कि 2017 से पहले भारत का कोई अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष में नहीं जा सकेगा।'
इसरो' ने यह भी तय किया है कि भारत के भावी अंतरिक्षयात्रियों को प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) देने के लिए बंगलुरु के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक अलग प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा। साथ ही, भारतीय अंतिरिक्षयात्रियों को औपचारिक तौर पर 'व्यौमनॉट' कहा जाएगा। यह शब्द संस्कृत के 'व्यौम' और अंग्रेजी के 'नॉट' के मेल से बना है।'
इसरो' का कहना है कि प्रशिक्षण प्रक्रिया के आरंभ में 200 प्रत्याशियों में से चार का अंतिम प्रशिक्षण के लिए चयन किया जाएगा, जिन में से दो भारत के प्रथम परिक्रमायान में जगह पाएंगे। उन के चयन की प्रक्रिया और शर्तों को अभी तय नहीं किया गया है।संभावना यही है कि व्यौमनॉटों की टीम लगभग उन्हीं मानदंडों के अनुसार तैयार की जाएगी, जिन मानदंडों के अनुसार अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण 'नासा' (NASA) और यूरोपीय अंतरिक्ष अधिकरण 'एसा' (ESA) के प्रशिक्षार्थियों का चयन एवं प्रशिक्षण होता है। 'नासा' और 'एसा' की चयन प्रक्रियाओं और उनके प्रशिक्षण कार्यक्रमों में काफी समानताएं हैं। उनके अंतररिक्षयात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ISS पर आते-जाते रहते हैं। वहां वे रूसी अंतरिक्षयात्रियों के साथ मिल कर काम करते हैं।
यूरोपीय अंतरिक्षयात्री प्रशिक्षण केंद्र और...
यूरोपीय अंतरिक्षयात्री प्रशिक्षण केंद्र : यूरोपीय अंतरिक्ष अधिकरण 'एसा' का अंतरिक्षयात्री प्रशिक्षण केंद्र जर्मनी में कोलोन शहर के उसी परिसर में है, जहां जर्मन अंतरिक्ष अधिकरण 'डीएलआर' का मुख्यालय एवं उसके विभिन्न शोध संस्थान भी हैं। कोलोन हवाई अड्डे के पास 55 हेक्टर भूमि पर फैले इस हरे-भरे परिसर के द्वार हर दो वर्ष पर, सितंबर महीने के किसी एक रविवार के दिन, आम जनता के लिए खोल दिए जाते हैं।इस दिन बड़े-बूढ़ों से लेकर अबोध बच्चों तक हजारों की संख्या में लोग अंतरिक्षयात्रियों की प्रशिक्षण सुविधाओं और शोध-प्रयोगशालाओं को देखने और नए-पुराने अंतरिक्षयात्रियों से बातें करने के लिए टूट पड़ते हैं। ताकि अधिक से अधिक लोग 'अंतरिक्षयात्रा दिवस' कहलाने वाले इस दिन का लाभ उठा सकें, कोलोन हवाई अड्डे और पास के उपनगरीय रेलवे स्टेशनों से 'डीएलआर' परिसर तक आने-जाने के लिए पूरे दिन मुफ्त बस सेवा भी चलती है। इस बार 22 सितंबर को 30 हज़ार लोगों ने इस सुविधा का लाभ उठाया। जर्मनी का 'अंतरिक्षयात्रा दिवस' : खुले दरवाजों वाले 'अंतरिक्षयात्रा दिवस' का उद्देश्य होता है जनसाधरण को दिखाना-बताना कि जर्मन अंतरिक्ष अधिकरण क्या कर रहा है? क्यों कर रहा है? अंतरिक्ष अनुसंधान कितनें जटिल हैं और उनके क्या लाभ हैं? एक उद्देश्य बच्चों और छात्रों में अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रति जिज्ञासा जगाना और उन्हें विज्ञान एवं इंजीनियरिंग से जुड़े विषय पढ़ने के लिए प्रेरित करना भी है। परमशून्य यानी क्या, अगले पन्ने पर...
युवाओं में यह जानने की भारी रुचि देखी जा सकती थी कि परमशून्य यानी ऋण 173.4 डिग्री सेल्ज़ियस के निकटतम तापमान वाली यूरोप की सबसे ठंडी क्रायोजेनिक विंड-टनल (अतिप्रशीतित वायुधारा सुरंग) किस तरह काम करती है।मार्च 2004 में प्रक्षेपित और 2014 के अंत में 67 करोड़ 50 लाख किलोमीटर दूर के एक धूमकेतु (कॉमेट) के पास पहुंच रहे 'रोजेटा' अन्वेषण यान को कोलोन में बैठ कर किस तरह नियंत्रित किया जा रहा है। या शरीर पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को छः गुणे तक बढ़ा देने वाला सेंट्रीफ्यूज (केंद्रापसारी यंत्र) भला कैसा दिखाई पड़ता है। तेजी से वृत्ताकार घूमने वाले इस यंत्र के द्वारा भावी अंतरिक्षयात्रियों को अपने ऊपर उस भारी खिंचाव को झेलने के लिए तैयार किया जाता है, जो प्रक्षेपण के समय रॉकेट की गति बढ़ने के साथ कई गुना बढ़ जाता है।जब वजन कई गुना बढ़ जाता है : जर्मन अंतरिक्ष अधिकरण 'डीएलआर' के एसएएचसी (SAHC/ शॉर्ट आर्म ह्यूमन सेंट्रीफ्यूज) की घूर्णन गति प्रतिमिनट 45 फेरे हो जाने पर व्यक्ति को अपना भार छः गुना बढ़ गया महसूस होता है। इस अवस्था में शरीर के भीतरी अंग नीचे की तरफ खिंचने लगते हैं। रक्त पैरों में जमा होने लगता है। हृदय रक्त को भलीभांति पंप नहीं कर पाता। मस्तिष्क की दिशा में रक्तसंचार कम हो जाने से उसे ऑक्सीजन मिलना भी कम हो जाता है। व्यक्ति का शारीरिक संतुलन खो जाता है और उसे अल्पकालिक बेहोशी भी आ सकती है। यान को अंतरिक्ष में पहुंचाने वाले रॉकेट के प्रक्षेपण के समय पैदा होने वाली यह अवस्था सबसे खतरनाक अवस्थाओं में गिनी जाती है। स्वाभाविक है जब अंतरिक्षयात्रा की बात हो रही हो, तो लोग यह भी जानना चाहते हैं कि कोई व्यक्ति अंतरिक्षयात्री बनता कैसे है? क्या योग्यताएं होनी चाहियें? क्या शारीरिक और मानसिक क्षमताएं होनी चाहियें? ट्रेनिंग किस तरह की होती है और कितनी लंबी होती है? इन प्रश्नों के उत्तर दिए यूरोपीय अंतरिक्ष अधिकरण 'एसा' के कोलोन स्थित 'अंतरिक्षयात्री प्रशिक्षण केंद्र' के निदेशक डॉ. हान्स बोलेंडर ने।
परीक्षा और प्रशिक्षण हेतु आवेदन की शर्तें...