बाल साहित्य : दादी मां मेरी प्यारी-प्यारी
-शालू निचलानी, इंदौर
दादी मां मेरी प्यारी-प्यारी
मुझको कहती राजकुमारी,
अच्छी-अच्छी बातें कहती
मैं रूठूं तो मुझे मनाती,
नए-नए पकवान खिलाती
फल खिलाती, दूध पिलाती।
रंग-बिरंगी ड्रेस दिलाती
मंदिर व पार्क ले जाती,
मम्मी के गुस्से से बचाती
अपनी गोद में मुझे सुलाती।
घोड़ा-हाथी बनके घुमाती
नित नई कहानी सुनाती,
खेल-खेल में मुझे पढ़ाती
भले-बुरे का भेद बताती।
ऐसी मेरी प्यारी दादी।