• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Poem On Pencil n Eraser

फनी बाल कविता : पेंसिल और इरेज़र

फनी बाल कविता : पेंसिल और इरेज़र - Poem On Pencil n Eraser
poem on kids : बच्चों की मजेदार कविता

हुई पेंसिल दीदी ग़ुस्सा, 
लगी इरेज़र को धमकाने। 
ठीक न होगा अगर आज तुम, 
आईं मेरा लिखा मिटाने। 
 
लिखती हूं मैं, चित्र बनाती, 
और बनाती हूं रेखाएं। 
चेताती हूं तुम्हें इरेज़र
मेरा लिखा न कभी मिटाएं। 
 
ज़ुर्रत की तो चित्त करूंगी, 
पटक-पटक चारों चौखाने। 
 
मेरे काग़ज़ पर कैसे भी, 
मैं उछलूं, कूदूं या नाचूं। 
तुम्हें शिकायत क्यों होती है, 
अपना लिखा जब कभी बांचूं। 
 
अब ज़िद की तो 'पिलो' बनाकर, 
रख लूंगी मैं तुम्हें सिरहाने। 
 
अरे पेंसिल दीदी! मुझसे, 
इतना क्यों ग़ुस्सा होती हो? 
मैं न रहता साथ तुम्हारे
तब तो तुम हरदम रोती हो। 
 
हम दोनों को साथ रचा है, 
बचपन से ऊपर वाले ने। 
 
बिना पेंसिल, रबर अधूरी, 
रबर बिना, पेंसिल क्या पूरी? 
ग़ैर-ज़रूरी लिखा मिटाने, 
रबर/ इरेज़र बहुत ज़रूरी। 
 
हम आए ही हैं दुनियां में, 
एक दूजे का हाथ बटाने। 
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ये भी पढ़ें
विराट कोहली को भी पसंद है भुट्टा, प्रोटीन और फाइबर से है भरपूर