बाल कविता : बच्चे फिर स्कूल चले
- डॉ. हरीश निगम
सैर-सपाटे भूल चले,
बच्चे फिर स्कूल चले।
छुट्टी वाले
दिन खर्चे
शुरू पढ़ाई
के चर्चे
आलस पर दे धूल चले,
बच्चे फिर स्कूल चले।
कक्षा नई
नए बस्ते
नन्हे-मुन्ने
गुलदस्ते
हंसते-गाते फूल चले,
बच्चे फिर स्कूल चले।
रंगों का
रेला बच्चे
खुशियों का
मेला बच्चे
तन-मन झूला झूल चले,
बच्चे फिर स्कूल चले।
साभार- devputra