शेर सिंह को ठंड लगी तो, लाए एक रजाई। ओढ़ तानकर खूब सोए वे, नींद मजे की आई। नींद खुली तो पाई उन्होंने नई रजाई गायब। पता नहीं मोटा सा चूहा पूरी काट गया कब।