बाल कविता : दादी बोली
जितनी ज्यादा बूढ़ी दादी,
दादा उससे ज्यादा।
दादी कहती 'मैं' शहजादी,
और दादा शहजादा।
दादी का यह गणित नातियों,
पोतों को ना भाता।
बूढ़े लोगों को क्यों मानें,
शहजादी-शहजादा।
दादी बोली, अरे बुढ़ापा,
नहीं उमर से आता।
जिनका तन-मन निर्मल होता,
वही युवा कहलाता।