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Written By Author प्रभुदयाल श्रीवास्तव

होली कविता : मुट्ठी में है लाल गुलाल

होली कविता : मुट्ठी में है लाल गुलाल - holi poem in hindi
नोमू का मुंह पुता लाल से,
सोमू का पीली गुलाल से।
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।


 
चुनियां को मुनियां ने पकड़ा,
नीला रंग गालों पर चुपड़ा।
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।
 
सल्लू पीला रंग ले आया,
कल्लू भी डिब्बा भर लाया।
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।
 
कुछ के हाथों में पिचकारी,
भरी बाल्टी रंग से भारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।
 
इन्द्रधनुष धरती पर उतरा,
रंगा, रंग से कतरा-कतरा।
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।