• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Global Warming
Written By

ग्लोबल वॉर्मिंग पर कविता : गरमाती धरती

ग्लोबल वॉर्मिंग पर कविता : गरमाती धरती - Global Warming
- राजेन्द्र निशेश
 

 
ग्लोबल वॉर्मिंग से गरमाती धरती,
ग्लेशियर पिघल रहे, घबराती धरती।
 
वायुमंडल हो रहा सारा ही दूषित, 
उथल-पुथल है भीतर बतलाती धरती।
 
ग्रीन हाउस गैसों से बढ़ रहा खतरा,
सभी की चाहत है मुस्कुराती धरती।
 
कहीं बाढ़, कहीं सूखा, रंग दिखलाता,
खून के आंसू भीतर बहाती धरती।
 
सुनामी का तांडव कहीं लील न जाए,
बचा लो तटों को, पाठ पढ़ाती धरती।
 
अंधाधुंध न काटो, बढ़ाओ वृक्षों को,
पर्यावरण बचा लो समझाती धरती।
 
साभार - देवपुत्र 
ये भी पढ़ें
जिम्मी मगिलिगन सेंटर पर पर्यावरण बचाओ सप्ताह का आयोजन