कविता : देखो तो शाला जाकर
डॉ.प्रमोद सोनवानी "पुष्प"
करके जल्दी से तैयारी,
शाला पढ़ने जाएंगे।
चित्र बने हैं जहां मनोहर,
मन अपना बहलाएंगे।
पुस्तक-कॉपी लेकर झटपट,
सीधे शाला जाना है।
ध्यान लगाकर सच्चे मन से,
सबक हमें तो पढ़ना है।
कितना अच्छा मिलता भोजन,
देखो तो शाला जाकर।
खेल-कूद भी तरह-तरह के,
देखो तो शाला जाकर।