गुरुवार, 10 जुलाई 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. bal geet

बाल कविता : जब गर्मी का मौसम आता

Bal Kavita
जब गर्मी का मौसम आता, 
नदी नहाने हम जाते थे। 
पानी में छप-छप करते थे, 
धूम मचाते मस्ताते थे। 
इतना निर्मल नीला पानी, 
पैंदे की सीपी दिखती थी। 
तल में नीचे चांदी जैसी, 
चम-चम रेत मचलती-सी थी। 
 
जल के भीतर उधम करते, 
चुल्लू से पानी पी जाते। 
अभी तैरना सीखे ही थे, 
नदी पार कई बार हो आते। 
 
'बहुत हो गया बाहर निकलो', 
बापू तट पर से चिल्लाते। 
'अभी आ रहे बापू' कहकर, 
हम डुबकी फिर से ले जाते। 
 
अब तो हाल नदी का यह है, 
बीमारी का घर लगती है।
उसकी एक बूंद भी हमको,
तीखा एक जहर लगती है।
 
कहां गए वह घाट सलोने, 
कहां गया वह नीला पानी। 
राम पराजित हैं रावण से, 
किसने बदली राम कहानी। 
 
क्यों हैं गंदे घाट किनारे?
क्यों दूषित नदिया का पानी?
यह पूछो अम्मा बापू से,
इस पर लिखना एक कहानी।