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Last Updated : रविवार, 14 मई 2023 (10:44 IST)

सिद्धारमैया या शिवकुमार, कौन संभालेगा कर्नाटक की कमान, जीत के बाद कांग्रेस में मंथन

Siddaramaiah and DK shivkumar with Mallikarjun Kharge after winning karnataka election
Karnataka election results : कर्नाटक चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुख्‍यमंत्री पद का चयन ही है। आज शाम  साढ़े 5 बजे इस पर मंथन के लिए पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) दोनों ने ही चुनाव में पार्टी को फ्रंट से लीड किया था, दोनों ही मुख्यमंत्री बनने की इच्छा खुलकर जारी कर चुके हैं।

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार के समर्थकों ने उनके आवास के बाहर एक पोस्टर लगाया, जिसमें उन्हें कर्नाटक का मुख्यमंत्री घोषित करने की मांग की गई। सिद्धारमैया के समर्थकों ने भी इस तरह उनके समर्थन में पोस्टर लगाए हैं।
 
किसका दावा ज्यादा मजबूत : मुख्‍यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों का ही दावा मजबूत है। सिद्धारमैया  2013 से 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं। वहीं शिवकुमार को कर्नाटक में कांग्रेस का चाणक्य माना जाता है। वे पार्टी हाईकमान के करीबी माने जाते हैं जो हर संकट में पार्टी के साथ खड़े नजर आते हैं। उन्होंने राज्य में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है।

क्या है कांग्रेस की समस्या : कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी की सबसे बड़ी समस्या गुटबाजी है। छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल को टीएस सिंहदेव चुनौती दे रहे हैं तो राजस्थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सचिन पायलट बड़ी समस्या बन गए हैं। कर्नाटक में ऐसी स्थिति से बचने के लिए पार्टी यह फार्मूला लाने जा रही है। 
 
क्या है कांग्रेस का प्लान : कहा जा रहा है कि कांग्रेस दोनों ही दिग्गजों को नाराज नहीं करना चाहती है। पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने भी संकेत दिया कि कर्नाटक में नई सरकार को मुख्यमंत्री पद के दो शीर्ष दावेदारों के तहत एक साझा कार्यकाल मिलेगा। हालांकि दोनों के समर्थक चाहते हैं कि उनका नेता ही पहले कर्नाटक की कमान संभालें।
 
कर्नाटक में कांग्रेस को 42.88 फीसदी मत मिले हैं, जबकि पार्टी को 2018 में करीब 38 फीसदी मत मिले थे। राज्य के छह क्षेत्रों में से, कांग्रेस ने पुराने मैसूरु, मुंबई कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक और मध्य कर्नाटक क्षेत्रों में जीत दर्ज की। भाजपा केवल तटीय कर्नाटक में अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रही, जबकि बेंगलुरु में दोनों दलों का मिलाजुला प्रदर्शन रहा।
 
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत न सिर्फ उसके सियासी रसूख को बढ़ाने वाली है, बल्कि 2024 के लोकसभा के चुनाव में उसकी उम्मीदों तथा विपक्षी एकजुटता की पूरी कवायद में उसकी हैसियत को और ताकत देने वाली साबित हो सकती है। माना जा रहा है कि उसकी इस जीत से इस साल के आखिर में होने वाले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावना को बल मिल सकता है।
 
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