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हनुमान जी में अतुलित बल है, जिसकी तुलना ही नहीं की जा सकती है।
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हनुमान जी अपने काम में विश्वास रखते हैं। वे कभी भी श्रेय लेने की होड़ में शामिल नहीं हुए।
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हनुमान जी का दूरदर्शिता का गुण सीखना चाहिए। जिसे आज के समय में 360 डिग्री सोच कहते हैं।
Hanuman Jayanti 2024 : हनुमान जी दैविक रूप में संकटमोचक तो हैं ही साथ ही शक्ति और सामर्थ्य के भी अनुपम उदाहरण हैं। वे आज के युग में समाज के हर वर्ग को प्रेरणा देते हैं। युवाओं में भी हनुमान जी का बहुत क्रेज है। बल और बुद्धि की बात हो या फिर विनम्रता की, हनुमान जी का कोई जोड़ नहीं है। हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि का दाता कहा गया है।
ALSO READ: हनुमान जी का अलौकिक परिचय, जानें प्रमुख पराक्रम और युद्ध के बारे में हनुमान जी भक्ति के साथ ही भौतिक जीवन में बहुत काम आते हैं। उनके गुणों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है और सफलता के शिखर तक पहुंचा जा सकता है। वेबदुनिया ने 10 युवाओं से बातचीत कर जाना कि आज की जनरेशन के लिए हनुमान जी सुपर हीरो क्यों हैं? आइए जानते हैं इन युवाओं के जवाब....
बजरंगबली तुमसा नहीं कोई बलवान :
अमन राठौर ने बताया कि 'रामदूत अतुलित बलधामा। यानी उनमें अतुलित बल है, जिसकी तुलना ही नहीं की जा सकती है। आज के समय में हेल्थ बहुत ज़रूरी है और फिजिकल फिटनेस में बजरंगबली जैसा कोई नहीं है। आज की जनरेशन हनुमान जी को फिजिकल फिटनेस के लिए प्रेरक मानती है। यदि हम जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं तो उसके लिए आवश्यक है कि हमारा स्वास्थ्य सही हो। और यह सब कुछ हनुमान जी से सीखा जा सकता है।
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अना इतनी कि लंका ख़ाक कर दें :
प्रथमेश व्यास ने बताया कि 'शाद सिद्दीक़ी की पंक्तियां हैं- अदब इतना कि क़दमों में पड़े हैं, अना इतनी कि लंका ख़ाक कर दें। हनुमान जी इतने शक्तिशाली होने के बाद बहुत विनम्र भी थे। सीता जी को ढूंढने से लेकर लंका को जलाने का काम उन्होंने बखूबी किया। युवाओं को हनुमानजी के इस गुण से सीखने की जरूरत है कि कोई कितना भी बलशाली हो या फिर ऊंचे पद पर हो, लेकिन उसे अहंकारी नहीं होना चाहिए। हमेशा बड़ों का सम्मान और सेवा उसकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
हर कार्य का श्रेय अपने प्रभु श्री राम को :
आदित्य यादव हनुमान जी अपने काम में विश्वास रखते हैं। वे कभी भी श्रेय लेने की होड़ में शामिल नहीं हुए। सीताजी की खोज करके जब वे प्रभु राम के पास लौटे तो उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय भी प्रभु राम की कृपा को ही दिया। जबकि, उनके लौटने पर जामबंत ने कहा था- 'नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी। सहसहुं मुख न जाइ सो बरनी।' अत: हमें अपने काम और लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए। कभी भी श्रेय लेने की होड़ में शामिल नहीं होना चाहिए। यदि हम सफलता हासिल करेंगे तो सराहना तो सहज ही प्राप्त हो जाएगी।
हनुमान जी 360 डिग्री में सोचना सिखाते हैं :
ललिता पटेल ने बताया कि 'हनुमान जी का दूरदर्शिता का गुण हर युवा को सीखना चाहिए। हनुमान जी ने सुग्रीव से श्रीराम की मित्रता करवाई और फिर उन्होंने विभीषण की श्रीराम से मित्रता करवाई। सुग्रीव को श्रीराम की मदद से बालि से मुक्ति मिली, जबकि श्रीराम ने विभीषण की मदद से रावण को मारा। यह केवल दूरदर्शिता से ही संभव है जिसे आज के समय में 360 डिग्री सोच कहते हैं। करियर या अन्य कामों में सफलता पाने के लिए भी दूरदर्शिता ज़रूरी है ताकि आने वाली अपॉर्चुनिटी को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
युवाओं को हनुमान जी से बुद्धि और विद्या की ज़रूरत :
नमन चौहान ने बताया कि 'हनुमान जी से बल, बुद्धि और विद्या मांगी जाती है। 'बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार।' ये दोहा हनुमान चालीसा की शुरुआत में ही बोला जाता है। समुद्र पार करते समय उनके मार्ग में कई अड़चनें भी आईं, लेकिन बुद्धि और ज्ञान के बल पर हनुमान जी ने सबको बड़ी आसानी से दूर कर दिया। आज के युवा मुश्किल समय में जल्दी घबरा जाते हैं। परेशानियों का सामना करने के लिए हनुमान जी जैसी बुद्धि और धैर्य होना जरूरी है।
हनुमान जी की तरह युवाओं को उनका पोटेंशियल याद दिलाना है :
स्वर्णिका भाटी ने कहा कि हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें जब जामबंत ने शक्तियों की याद दिलाई तो वे अथाह समुद्र को लांघ गए और सीताजी की खोज करके ले आए। इसी तरह युवाओं को भी अपनी शक्ति और क्षमता को पहचानना होगा, ताकि वे बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल कर सकें। आज की जनरेशन को सशक्त बनाने के लिए युवाओं के कौशल को पहचानना होगा। युवाओं को उनके पावर और अधिकारों को याद दिलाने की भी जरूरत है।
हनुमान का नाम करता है डिप्रेशन का काम तमाम :
विदुषी श्रीवास्तव ने बताया कि आज की जनरेशन में डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या इसलिए बढ़ रही है क्योंकि हम बाहर के वातावरण से प्रभावित होते हैं। विनम्रता की भावना कम होती जा रही है। इस कारण से हमारा दिमाग डिस्टर्ब होने लगा है। इसलिए हनुमान का स्मरण विनम्रता और भक्ति का एहसास दिलाता है। हनुमान चालीसा में लिखा भी है- संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
हुकअप कल्चर में युवाओं को हनुमान जी की ज़रूरत :
देव गुर्जर ने बताया कि ब्रह्मचारी का मतलब अक्सर लोग गलत समझते हैं। अगर आप रिलेशनशिप में हैं तब भी आप ब्रह्मचारी हो सकते हैं। लेकिन अगर कोई रिलेशनशिप में नहीं है और लड़कियों और स्त्रियों पर गलत नजर डालता है तो ऐसे व्यकित को ब्रह्मचारी नहीं कहा जा सकता। हनुमान जी हर स्त्री को अपनी मां की नज़र से देखते थे। आज के हुकअप कल्चर में युवाओं को हनुमान जी से यह बात सीखना ज़रूरी है।
हनुमान जी से आज के युवा कई गुण सीख सकते हैं। करियर में सफलता के साथ ही सही मैनेजमेंट भी हनुमान जी से सीखने मिलती है। हनुमान चालीसा से लेकर सुंदरकांड तक कई ऐसी बातें सीखने वाली हैं जो आपको सफलता का रास्ता बता सकती हैं।