Janaki jayanti 2020 : लव और कुश ने दिलाया था अपनी माता सीता को न्याय, राम से किया था युद्ध
राम जब सीता को रावण के पास से छुड़वाकर अयोध्या ले आए तो उनके राज्याभिषेक के कुछ समय बाद मंत्रियों और दुर्मुख नामक एक गुप्तचर के मुंह से राम ने जाना कि प्रजाजन सीता की पवित्रता के विषय में संदिग्ध है अत: सीता और राम को लेकर अनेक मनमानी बातें बनाई जा रही हैं। उस वक्त सीता गर्भवती थीं।
राम और अन्य ने सीता से कहा कि समाज में बातें बनाई जा रही हैं। तब सीता की अग्नि परीक्षा हुई। इस अग्निपरीक्षा के बाद भी जनसमुदाय में तरह-तरह की बातें बनाई जाने लगीं, तब राम के समक्ष फिर से धर्मसंकट उत्पन्न हो गया।
फिर एक दिन की बात है कि सीता जब गर्भवती थीं तब उन्होंने एक दिन राम से एक बार तपोवन घूमने की इच्छा व्यक्त की। किंतु राम ने वंश को कलंक से बचाने के लिए लक्ष्मण से कहा कि वे सीता को तपोवन में छोड़ आएं। हालांकि कुछ जगह उल्लेख है कि श्रीराम का सम्मान उनकी प्रजा के बीच बना रहे इसके लिए उन्होंने अयोध्या का महल छोड़ दिया और वन में जाकर वे वाल्मीकि आश्रम में रहने लगीं। वे गर्भवती थीं और इसी अवस्था में उन्होंने अपना घर छोड़ा था। वाल्मीकि आश्रम में सीता ने लव और कुश नामक 2 जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।
लव और कुश का पालन पोषण वाल्मीक आश्रम में ही हुआ। वहीं उन्होंने तीरंदाजी, घुड़सवारी आदि सभी विद्याओं का अध्ययन किया। वे जब किशोरावस्था में थे तब श्रीराम एक बार जब अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे, तभी एक घोड़ा भटकते हुए जंगल में आ गया और उसे लव कुश ने अपने कब्जे में ले लिया। जिसकी वजह से लव का अपने पिता के साथ ही टकराव हो गया था। लव-कुश ने इस घोड़े को छोड़ने से इंकार कर दिया। इस वजह से श्रीराम के भाइयों भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण के साथ लव-कुश का टकराव भी हुआ और दोनों ने इन्हें आसानी से हरा दिया।
ये कारनामा सुनने के बाद श्रीराम को खुद ही इस लड़ाई में आना पड़ा। बाद में इन बच्चों की योग्यता को देखते हुए श्रीराम ने इन्हें अयोध्या आने का निमंत्रण दिया ताकि वे वहां आकर यज्ञ पूरा कर सकें। वहां दोनों पुत्रों ने अपनी माता की करुण कथा लोगों को गा-गाकर सुनाई और मां सीता को न्याय दिलाने के लिए हर तरह के प्रयास किए जिसमें वे सफल भी हुए। इसी के बाद श्रीराम को ये पता चला था कि लव और कुश उनके ही बेटे हैं।