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Written By भाषा
Last Modified: लाहौर , गुरुवार, 5 जनवरी 2012 (11:24 IST)

पाक की राजनीति में बढ़ा इमरान का कद

पाक की राजनीति में बढ़ा इमरान का कद -
इमरान खान की अचानक बढ़ती लोकप्रियता के कारण पाकिस्तान के राजनीतिक समीकरणों में हलचलें पैदा होती नजर आ रहीं है। क्रिकेट जगत से राजनीति में आए इमरान के खतरे को दूर करने के लिए पहले से ही एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी पीएमएल एन और पीपीपी एक बैठक का प्रस्ताव रख रहे हैं।

इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ की पूरे देश में हाल में की गई रैलियों में उमड़ी भारी भीड़, पार्टी को नवाज शरीफ के गढ़ लाहौर और पीपीपी की पकड़ वाले कराची में मिले भारी समर्थन ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।

इमरान की लोकप्रियता में बढ़ोतरी ने शरीफ को पीपीपी नीत सरकार और इसके प्रमुख आसिफ अली जरदारी की आलोचना को कम करने को मजबूर कर दिया। सूत्रों का कहना है कि यह दोनों शीर्ष पार्टियों के बीच बैठक का कारण बन सकता है।

राष्ट्रपति के सहयोगी नाविद चौधरी ने कहा कि संभावना है कि राष्ट्रपति जरदारी और नवाज शरीफ भविष्य में कोई बैठक करें। रणनीति में बदलाव करते हुए पीएमएल एन ने अपना निशाना खान की ओर साधते हुए आरोप लगाए हैं कि उनकी पार्टी अप्रत्यक्ष रूप से सैन्य ताकत की सिफारिश करके सुरक्षा संस्थानों का समर्थन कर रही है।

शरीफ और जरदारी की बैठक की ओर इशारा करते हुए चौधरी ने कहा कि दोनों पक्षों के संबंधों पर जमी बर्फ पिघल रही है।

चौधरी ने कहा कि इसके संकेत 27 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री बेनजरी भुट्टो की पुण्यतिथि पर जरदारी के भाषण में शरीफ की सराहना से मिलते हैं। जरदारी का यह रुख कराची में एक सार्वजनिक सभा शरीफ द्वारा उठाए गए कदम का प्रतिसाद है जिसमें उन्होंने पीएमएल एन समर्थकों को ‘जाओ जरदारी जाओ’ के नारे लगाने से रोक दिया था।

शरीफ-जरदारी की बैठक को खान की बढ़ती लोकप्रियता के कारण बढ़ावा मिला, इन अटकलों से दूर रहते हुए चौधरी ने कहा कि बैठक में इसके लिए कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है देश को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और यह बहुत जरूरी है कि देश की दो प्रमुख पार्टियों के नेता साथ बैठें तथा देश को इन सब से बाहर निकालने के समाधानों का पता लगाएं।

चौधरी ने कहा कि पीपीपी हमेशा से राजनीतिक मेलमिलाप का पक्षधर रही है। शरीफ पीपीपी नीत सरकार को केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन से 2008 में पीएमएल एन को अलग किए जाने के बाद से निशाना बना रहे थे। दोनों पार्टियां पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा बर्खास्त किए गए न्यायाधीशों की पुनर्बहाली के मुद्दे को लेकर अलग हुईं थीं। (भाषा)