एक भेड़िया मानव का दुख...
जीसस असावेज बचपन से ही ऐसा था और इस हालत के कारण गलियों में चलते लोग भी उसे एक भेड़िया मानव कहकर बुलाते हैं। उसके साथ यह लगभग प्रतिदिन होता है। असावेज के परिजन उसे चुए कहकर बुलाते हैं। वह ऐसी बीमारी से पीड़ित है जिसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में कॉन्जेनीटल हाइपरट्रिकोसिस कहा जाता है। इस बीमारी के कारण पीड़ित के शरीर और चेहरे पर असाधारण रूप से बाल उगते हैं।वह इसी बीमारी के साथ पैदा हुआ था और जब छोटा था तो लोग उसे लिटिल वू्ल्फ कहा करते थे। मेक्सिको में जब वह अपने काम के लिए जाता है तो उसे लगभग प्रतिदिन लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं या लोग उसे घूरकर देखते हैं मानो वह इनसान न होकर एक विचित्र प्राणी हो। फिल्मकार इवा एरिजिस ने उसको लेकर एक वीडियो बनाया है, जिसमें उसकी दुरावस्था को दर्शाया गया है। इस फिल्म में दर्शाया गया है कि वह एक चिड़ियाघर में जाता है और यहां वह अपनी भेड़ियों के साथ तुलना कर कुछ सोचने लगता है। वह निष्कर्ष निकालता है कि दोनों ही न केवल शरीर के रोएंदार त्वचा को लेकर एक जैसे हैं वरन दोनों को ही कैद करके रखा जाता है। यह एक दुखद दृश्य है जबकि वह मेट्रोलिंक स्टेशन से वापस आता है और यहां फिर उसकी क्रूरतापूर्वक हंसी उड़ाई जाती है और लोग उसे देर तक घूरते रहते हैं। जीसस के मुताबिक वह शांति के साथ रहना चाहता है लेकिन अकेले या अलग थलग नहीं रहना चाहता हूं। द डेली मिरर में एडवर्ड रॉबर्ट्स लिखते हैं कि 'चुए द वूल्फ मैन' एक शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री है जोकि इतिहास में अपनी ही तरह का व्यक्ति चित्रण है। एरिजिस का कहना है कि एक फिल्मकार के तौर पर यह मेरे लिए महत्वपूर्ण था कि मैं उसको एक आवाज दूं और अपनी कहानियां सुनाने दें और वह अपने दैनिक जीवन में जिन चुनौतियों का सामना करता है, उनके बारे में बताएं।एरिजिस कहती हैं कि कोन्जेनीटल हाइपरट्रिकोसिस के इतिहास में करीब पचास मामले होंगे। चुए के परिवार में उनके दिवंगत परिजनों से लेकर उनके छह माह के भतीजे डेरियन तक 30 ऐसे मामले रहे हैं। (साभार डेली मिरर से)