सैटेलाइट से पता चलेगा गरीबी का
वॉशिंगटन। स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिकों ने उपग्रह से ली गई तस्वीरों और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके उन इलाकों में गरीबी का पता लगाने का एक किफायती एवं अधिक विश्वसनीय तरीका ढूंढ निकाला है, जहां इस संबंधी आंकड़े एकत्र करना मुश्किल है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इससे सहायता मुहैया कराने वाले संगठनों एवं नीति-निर्माताओं को अधिक प्रभावशाली तरीके से फंड वितरित करने और नीतियों का अधिक प्रभावशाली तरीके से क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी।
गरीबी में रह रहे लोगों को मदद मुहैया कराने के समक्ष पेश आने वाली सबसे बड़ी चुनौती उनका पता लगाने की है। खासकर अफ्रीकी महाद्वीप में गरीबी में रह रहे लोगों के क्षेत्र में सटीक एवं विश्वसनीय सूचना का अभाव है।
सहायता समूह एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन घर-घर जाकर सर्वेक्षण करके इस अंतर को पूरा करते हैं लेकिन इस प्रक्रिया में बहुत समय लगता है और यह महंगी है।
अमेरिका में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने उपग्रह से मिलने वाली हाई रेजोल्यूशन वाली तस्वीरों से गरीबी के बारे में सूचना निकालने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया। मशीन लर्निंग आंकड़ों पर आधारित प्रणालियों के निर्माण एवं अध्ययन से संबंधित विज्ञान है।
स्टैनफोर्ड में सहायक प्रोफेसर मार्शल बुर्के ने कहा कि हमने अफ्रीकी महाद्वीप के कई गांवों में सीमित सर्वेक्षण किए हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि गरीबी संबंधी जानकारी एकत्र करने में यह तरीका आश्चर्यजनक रूप से बहुत लाभकारी है। (भाषा)