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Written By Author राम यादव

डेनमार्क में भी हुआ था श्रद्धा वालकर जैसा हत्याकांड, इस हत्यारे को दिल दे बैठी 2 बच्चों की मां...

Denmark
भारत में 2012 के 'निर्भया बलात्कार' और 2022 में 'श्रद्धा वालकर हत्याकांड' जैसी घटनाएं, भारत को नीचा दिखाने की ताक में रहने वाले पश्चिमी मीडिया के लिए अपनी बात नमक-मिर्च लगा कर कहने का मनचाहा बहाना बन जाती हैं। इस बात को बड़े आराम से भुला दिया जाता है कि यूरोप के लोकतांत्रिक धनी-मानी सुशिक्षित देशों में इनसे भी वीभत्स इसी प्रकार की घटनाएं होती रहती हैं।
 
डेनमार्क उत्तर-पश्चिमी यूरोप का एक बहुत ही सुंदर, सुशिक्षित और सुसंपन्न देश है। है तो बहुत छोटा ही- जनसंख्या केवल 51 लाख है और क्षेत्रफल भी 43 हज़ार वर्ग किलोमीटर के साथ भारत में हरियाणा से भी कुछ कम ही है। तब भी, डेनमार्क सबसे कम भ्रष्टाचार, सबसे अधिक प्रेस-स्वतंत्रता या सबसे सुखद जीवन लायक देशों की सूची में सबसे अग्रणी पांत में ही दिखाई पड़ता है। 
 
51 वर्ष का पीटर मादसन इसी डेनमार्क का निवासी है। 2017 तक वह अपने देश में एक सुपरिचित और बहुत सम्मानित नाम था। वह एक नामी आविष्कारक और इंजीनियर था। समुद्री नौकाविहार के शौकीन धनी-मानी लोगों के लिए उनकी पसंद की निजी पनडुब्बियां बनाया करता था। उसकी बनाई सबसे बड़ी और मंहगी पनडुब्बी, 'UC 3 नॉटिलस,' 17 मीटर से कुछ अधिक लंबी और 40 टन भारी थी। मादसन एक शौकिया रॉकेट क्लब का सदस्य़ भी था। रॉकेट और उनके इंजन भी बनाता था। उसका बनाया एक रॉकेट, जून 2013 में, 8 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया। इससे उत्साहित हो कर 2014 में, उसने रॉकेट बनाने वाली अपनी एक अलग कंपनी की नींव डाली।
 
स्वीडन की महिला पत्रकार बनी शिकार : पीटर मादसन, 26 अगस्त 2017 के दिन, अपनी कंपनी का पहला रॉकेट आकाश में भेजना चाहता था। इससे कुछ ही सप्ताह पहले, स्वीडन की एक 30 वर्षीय महिला पत्रकार, किम वाल ने उससे संपर्क किया। एक रिपोर्ताज के लिए वह जल्द ही मादसन से मिलना और उसकी पनडुब्बी 'UC 3 नॉटिलस' को देखना चाहती थी। लेकिन, उस समय जो दिन तय हुआ, उस दिन किसी दूसरे कारण से, किम वाल को पीटर मादसन से मिलना संभव नहीं लगा। उसे तयशुदा दिन टालना और कहना पड़ा कि वह जल्द ही फिर से फ़ोन करेगी।
 
पत्रकार किम वाल ने कुछ दिन बाद जब दुबारा संपर्क किया, तब उसी के कहने पर, 10 अगस्त 2017, रिपोर्ताज के लिए उसके आने की नई तारीख़ तय हुई। उस दिन शाम को वह डेनमार्क की राजधानी कोपेनहागन के पास की उस खाड़ी की तरफ़ गई, जहां मादसन अपनी पनडुब्बी 'UC 3 नॉटिलस' में उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। किम वाल का जीवनसाथी भी उस दिन कोपेनहागन में था। देर रात तक जब वह न तो वापस आई और न टेलिफ़ोन द्वारा उससे कोई संपर्क हो सका, तो उसके व्याकुल जीवनसाथी ने पुलिस के पास उसके ग़ायब हो जाने की शिकायत दर्ज करवाई और खुद भी उसकी खोज में निकल पड़ा। 
 
दाल में ज़रूर कुछ काला है : अगले दिन, 11 अगस्त 2017 को, मादसन की पनडुब्बी 'नॉटिलस', पुलिस को कोपेनहागन के दक्षिण में स्थित उस खाड़ी में पानी पर तैरती दिखी, जहां किम को मादसन से मिलना था। लेकिन, पनडुब्बी पुलिस के देखते ही देखते डूब गई। किंतु मादसन को डूबने से जैसे-तैसे बचा लिया गया। पुलिस ने इस शक में उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया कि दाल में ज़रूर  कुछ काला है। पूछ-ताछ में मादसन बार-बार कह रहा था कि उसने किम को कोपेनहागन बंदरगाह के पास के एक प्रायद्वीप पर उतार दिया था।
 
जांचकर्ताओं ने डूब गई 'नॉटिलस' को जल्द ही पानी से बाहर निकाला। उसके भीतर उन्हें ख़ून के निशान और किम वाल के कुछ अंतःवस्त्र मिले। मामले की आरंभिक जांच कर रहे जज को मादसन की महिला वकील ने बताया कि मादसन के अनुसार, किम की मृत्यु पनडुब्बी के अंदर एक दुर्घटना के कारण हुई। उसने किम को, अंतिम संस्कार के तौर पर, सारे कपड़ों सहित समुद्र को समर्पित कर दिया है।
 
खाड़ी के तट पर महिला का धड़ मिला : यह झूठ एक ऐसा दावा निकला, जिसकी कलई 10 ही दिन बाद, 21 अगस्त को खुल गई। एक साइकल-सवार को उस दिन कोपेनहागन के पास वाली खाड़ी के तट पर, बिना सिर-पैर का एक ऐसा धड़ दिखा, जो किसी महिला का था। धड़ की फ़ोरेंसिक जांच से पता चला कि महिला के हाथ-पैर और सिर को एक ही समय धड़ से अलग किया गया था। धड़ पर चाकू घोंपने के 15 निशान थे। DNA परीक्षा ने दिखाया कि धड़, किम वाल का ही है। धड़ की शव परीक्षा से यह भी सिद्ध हो गया कि उसे लोहे जैसी किसी भारी चीज़ से बांध कर समुद्र में फेंका गया था, ताकि वह पानी के नीचे ही पड़ा रहे।
 
पीटर मादसन के बयान हर नई पोल खुलने के साथ बदलने लगा। धड़ मिलने के तीन ही दिन बाद उसने कहा कि वास्तव में पनडुब्बी के टॉवर में बने हैच का लोहे का ढक्कन किम के सिर पर गिर जाने से उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन, क़रीब डेढ़ महीने बाद, 6 अक्टूबर को किम के कुछ कपड़ों के साथ उसका सिर और दोनों पैर भी गोताख़ोरों को मिल गए। सिर पर किसी घाव के कोई निशान नहीं मिले। यह दवा भी झूठा साबित हो गया।
  
झूठे दावों की धज्जियां उड़ीं : मादसन के एक कंप्यूटर की हार्ड डिस्क पर ऐसे कई वीडियो मिले, जिनमें औरतों को मारने-सताने और मार डालने के घिनौने दृश्य थे। अपने झूठे दावों की धज्जियां उड़ती देख मादसन ने यह कहना शुरू कर दिया कि किम वाल, पनडुब्बी में कार्बऩ-मोनोऑक्साइड के ज़हरीले प्रभाव के कारण मरी, न कि उसने किम की जान ली। उसकी मृत्यु के बाद ही उसने शव के टुकड़े किए और उन्हें समुद्र में फेंका।
 
23 जनवरी, 2018 को पीटर मादसन के विरुद्ध अभियोगपत्र सार्वजनिक किया गया। उस पर कामवासना की तृप्ति के लिए पूरी तैयारी के साथ नियोजित ढंग से हत्या करने और मृत-शरीर के साथ भी यौन दुराचार करने के आरोप लगाए गए। अभियोगपत्र में यह भी लिखा गया था कि मादसन ने किम वाल की हत्या करने से पहले उसे उत्पीड़ित किया। हत्या के बाद शव के कई टुकड़े किए। उसे आजीवन कारावास की सज़ा मिलनी चाहिए। सज़ा की अवधि की समाप्ति के बाद भी, दूसरों की सुरक्षा के हित में, उसे रिहा नहीं किया जाना चाहिए। 
 
12 देशों के 100 से अधिक पत्रकार जमा हुए : मुकदमे की सुनवाई 8 मार्च, 2018 के दिन शुरू हुई। डेनमार्क और स्वीडन का ही नहीं, लगभग पूरे पश्चिमी यूरोप का मीडिया इस सुनवाई में गहरी दिलचस्पी ले रहा था। 12 देशों के 100 से अधिक पत्रकार कोपेनहागन में जमा हो गए थे। 37 लोग गवाही देने वाले थे। मुकदमे के दौरान पीटर मादसन के निजी जीवन के भी कई रहस्य उजागर हुए। उनमें से एक यह भी था कि वह ऐसी फ़िल्मों और साहित्य का रसिक है, जिनमें औरतों पर केंद्रित निर्मम शारीरिक उत्पीड़न, मौत के आतंक और हत्या का चित्रण हो।
 
शायद इसी कारण मादसन ने किम वाल के हाथ-पैर और सिर बांधकर पहले उसे खूब मरा-पीटा। उसकी मृत्यु के तुरंत बाद उसके शव के साथ अपनी कामवासना तृप्त करने का कुकर्म किया। अपनी पशुता का परिचय देते हुए उसके गुप्तागों को भी क्षत-विक्षत कर दिया। यह सब उस समय 47 साल के एक ऐसे पढ़े-लिखे नामधारी व्यक्ति ने किया, जो 2011 से विवाहित था। उसकी पत्नी फ़िल्म उद्योग में काम करती थी। मादसन की गिरफ्तारी होते ही पत्नी ने उससे नाता तोड़ लिया।
 
आजीवन कारावास की सज़ा मिली : 25 अप्रैल 2018 के दिन पीटर मादसन को आजीवन कारावास की सज़ा सुनई गई। मुकदमे की सुनवाई कर रहे सभी जज एकमत थे कि उसने किम वाल की हत्या करने की योजना पहले से ही बना रखी थी। आरी, चाकू-छुरे और दूसरे औज़ार जुटा रखे थे। हत्या से पहले उसे बांधा, यातना दी, यौन दुराचार किया, मार डाला और अंत में शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिया।
 
पीटर मादसन ने अपने दोष के विरुद्ध तो नहीं, पर अपनी सज़ा के विरुद्ध अपील की। अपील की सुनवाई 5 सितंबर, 2018 को हुई। ठीक तीन सप्ताह बाद अपील को ठुकराते हुए सज़ा को उचित और न्यायसंगत घोषित किया गया। न्यायालय के आदेश पर उसकी पनडुब्बी UC 3 नॉटिलस को ज़ब्त कर नष्ट कर दिया गया।
 
दो बच्चों की मां हत्यारे को दिल दे बैठी : किंतु, कहानी यहीं समाप्त नहीं हो जाती। अगस्त 2018 में मादसन को एक दूसरी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। 2019 की गर्मियों में वहां उसे फ़िनलैंड से चिट्ठियां आने लगीं।
 
दो बच्चों की मां, 39 साल की एक रूसी महिला, उसकी कहानी जानकर उस से घृणा करने के बदले उस पर इतनी फ़िदा हो गई थी कि उससे प्रणय-निवेदन करने लगी। दुनिया में ऐसा भी होता है! जेनी कर्पन नाम की यह महिला रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुखर विरोधी है। रूस में गिरफ्तारी से बचने के लिए 2013 में वह फ़िनलैंड भाग गई थी। वहां उसे राजनीतिक शरण मिल गई। मादसन के नाम अपनी चिट्ठियों में वह कहने लगी कि वह उससे शादी करना चाहती है। 19 दिसंबर, 2019 को डेनमार्क की जेल में ही दोनों की शादी हुई।
 
ऐसा भी नहीं है कि जेनी कर्पन ही डेनमार्क के सबसे कुख्यात हत्यारे पर फ़िदा थी। जिस पहली जेल में वह अगस्त 2018 तक क़ैद था, उस जेल की एक महिला पहरेदार भी उस पर आसक्त थी। उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। मादसन जैसा विकृत मानसिकता वाला ख़ूंख़ार कैदी भी भला किसी जेल में चुपचाप कैसे रह सकता था! नई शादी के बाद तो और भी नहीं। 20 अक्टूबर, 2020 को उसने 'पिस्तौल-जैसा कुछ दिखा कर' इस दूसरे जेल की महिला मनोवैज्ञानिक को बंदी बना लिया और आपाधापी मचा कर जेल से भागने में सफल भी हो गया। लेकिन, उसकी यह आकस्मिक आज़ादी केवल 6 मिनट ही चली। जेल से कुछ ही सौ मीटर दूर पुलिस ने मादसन को धरदबोचा।
 
पुलिस को दी बम से उड़ा देने की धमकी : पुलिस को डराने के लिए उसने कहा कि उसके पास बम है। इस नई धमकी का नतीजा यह हुआ कि जेलकर्मियों को ख़तरे में डालने, जेल से भागने और पुलिस को धमकाने के एक नए अपराध के अभियोग में उस पर एक नया मुकदमा चला। फ़रवरी 2021 में उसे पौने दो साल की अतिरिक्त सज़ा सुनाई गई।
 
मादसन यदि भागने की बहादुरी न करता, तो 2030 में अपनी आजीवन सज़ा में कटौती की मांग कर सकता था। लेकिन अब उसकी सज़ा में पौने दो साल और जुड़ जाएंगे। विश्वास नहीं होता कि पश्चिम के पढ़े-लिखे सभ्य संपन्न समाजों में भी ऐसे-ऐसे कुकर्मी होते हैं कि उनके कारनामों से असभ्य राक्षस भी शर्मसार हो जाएं। 
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