मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. Meta, facebook name change, Metaverse, facebook, technic
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2021 (12:21 IST)

आखि‍र क्‍यों बदला फेसबुक ने अपना नाम, क्‍या है वजह?

आखि‍र क्‍यों बदला फेसबुक ने अपना नाम, क्‍या है वजह? - Meta, facebook name change, Metaverse, facebook, technic
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने अपने नाम को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब इसका नया नाम 'मेटा' होगा। फेसबुक के फाउंडर और सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने गुरुवार को ऑकलैंड में आयोजित सालाना कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की।

मार्क ने कहा, 'मेटावर्स प्रोजेक्‍ट का मिशन पूरा करने के लिए हम खुद को री-ब्रांड कर रहे हैं। अब हमारे लिए फेसबुक फर्स्ट की जगह मेटावर्स फर्स्ट होगा।'

कंपनी का नाम अचानक से बदलने के बाद तकनीक की दुनिया में हलचल है। आखि‍र ऐसा क्‍यों किया गया। क्‍या फेसबुक प्‍लेटफॉर्म अब नहीं रहेगा आदि तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। लेकिन यह सारी कवायद कंपनी की री-ब्रांडिंग को लेकर है। इसके साथ ही कंपनी अब पूरी तरह से मेटावर्स पर काम करना चाहती है। इसलिए इसे मेटा नाम में तब्‍दील किया गया है।  

जिस तरह गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट है, उसी तरह एक पेरेंट कंपनी के अंदर फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और कंपनी के दूसरे प्लेटफॉर्म आएंगे। जुकरबर्ग का मानना है कि आने वाले समय में मेटावर्स दुनिया की वास्तविकता होगी।

मेटावर्स क्या है?
मेटावर्स एक तरह की आभासी दुनिया होगी। इस तकनीक से आप वर्चुअल आइंडेंटिटी के जरिए डिजिटल वर्ल्ड में एंटर कर सकेंगे। यानी एक पैरेलल वर्ल्ड, जहां आपकी अलग पहचान होगी। उस पैरेलल वर्ल्ड में आप घूमने, सामान खरीदने से लेकर, इस दुनिया में ही अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल सकेंगे। जैसे सामान्‍य दुनिया में बातचीत करते हैं, ठीक वैसे ही बात कर सकेंगे। कुल मिलाकर एक ऐसी तकनीक जिसकी मदद से आभासी और रियल दुनिया के बीच का फर्क बेहद कम हो जाएगा।  

कैसे काम करेगा मेटावर्स?
मेटावर्स ऑग्मेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी कई टेक्नोलॉजी के कॉम्बिनेशन पर काम करता है।  इसे पूरी तरह से डेवलप होने में 10 से 15 साल लग सकते हैं। खास बात यह है कि इसे कोई एक अकेली कंपनी डेवलेप नहीं कर सकती। क्‍योंकि ये कई तरह की अलग-अलग तकनीक से मिलकर बनेगी, इसलिए इसमें दुनिया की कई कंपनियां काम कर रही हैं।