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Written By BBC Hindi
Last Modified: शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2021 (09:43 IST)

मेटा: फेसबुक ने अपना नाम बदला, इसके मायने क्या हैं?

मेटा: फेसबुक ने अपना नाम बदला, इसके मायने क्या हैं? - Meta : facebook new name
फेसबुक ने अपना कॉर्पोरेट नाम बदलकर मेटा कर लिया है। यह फेसबुक की व्यापक रीब्रैंडिंग का हिस्सा है। कंपनी ने कहा है कि वो सोशल मीडिया से आगे वर्चुअल रियलिटी में अपनी पहुँच बढ़ाएगी। नाम में बदलाव अलग-अलग प्लेफॉर्म्स, जैसे- फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप में नहीं होगा।
 
यह बदलाव इन सबके स्वामित्व वाली पेरेंट कंपनी के लिए है। यानी मेटा पेरेंट कंपनी है और फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम इनके हिस्सा हैं।
 
फेसबुक ने यह क़दम तब उठाया है, जब उसकी एक पूर्व कर्मी की ओर से दस्वावेज़ लीक करने के बाद नकारात्मक रिपोर्ट्स सिलसिलेवार ढंग से सामने आईं। फेसबुक की पूर्व कर्मी फ़्रांसेस हॉगन ने आरोप लगाया था कि यह सोशल मीडिया कंपनी सुरक्षा को दांव पर लगाकर मुनाफ़े के लिए काम कर रही है।
 
साल 2015 में गूगल ने भी इसी तरह का क़दम उठाया था। उसने भी पेरेंट कंपनी का नाम बदलकर अल्फ़ाबेट कर दिया था। हालाँकि यह नाम प्रचलन में नहीं आया।
 
फेसबुक के मालिक मार्क ज़करबर्ग ने घोषणा की है कि नया नाम मेटावर्स प्लान का हिस्सा है। मेटावर्स का मतलब एक ऑनलाइन दुनिया से है, जहाँ लोग वर्चुअली गेम खेल सकते हैं, काम कर सकते हैं और संपर्क स्थापित कर सकते हैं। इसे वीआर (वर्चुअल रियलिटी) हेडसेट्स भी कहा जा रहा है।
 
ज़करबर्ग ने कहा कि अभी हम जो कर रहे हैं, उस लिहाज से मौजूदा ब्रैंड नाकाफ़ी है। उन्होंने कहा कि एक ऐसी ब्रैंडिंग की ज़रूरत थी, जो हमारे सभी कामों का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हो। हमारी नज़र भविष्य पर है।
 
ज़करबर्ग ने एक वर्चुअल कॉन्फ़्रेंस में कहा, ''मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में हम एक मेटावर्स कंपनी के रूप में देखे जाएंगे। हम चाहते हैं कि हमारा काम और हमारी पहचान, जो हम करना चाह रहे हैं, वैसा ही हो। हम अपने कारोबार को दो हिस्सों में देखना चाहते हैं। एक फैमिली ऐप्स और दूसरा भविष्य के प्लेटफॉर्म्स के लिए हमारा काम।''
 
ज़करबर्ग ने कहा, ''अब समय आ गया है कि जो भी हम कर रहे हैं, वो नए ब्रैंड के तहत हो ताकि पता चले कि हम कौन हैं और क्या करने जा रहे हैं।''
 
कंपनी ने कैलिफ़ोर्निया में मेन्लो पार्क में अपने मुख्यालय पर एक नए निशान या लोगो से भी पर्दा हटाया। अब थम्स-अप 'लाइक' लोगो को ब्लू इन्फिनाइट शेप से बदल दिया गया है।
 
ज़करबर्ग ने कहा कि नया नाम अपने वक़्त को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यूज़र्स को कंपनी की अन्य सेवाओं के इस्तेमाल के लिए फेसबुक का इस्तेमाल करना ज़रूरी नहीं होगा। मेटा वर्ड ग्रीक से आया है और इसका मतलब बीऑन्ड यानी आगे होता है।
 
मेटावर्स क्या है?
मेटावर्स वर्चुअल रियलिटी की तरह लगता है लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यह इंटरनेट का भविष्य हो सकता है। एक कंप्यूटर होने के बजाय लोग मेटावर्स में एक हेडसेट के ज़रिए वर्चुअल दुनिया में सभी तरह के डिज़िटल परिवेश में तक अपनी पहुँच बना सकते हैं।
 
उम्मीद की जाती है कि वर्चुअल दुनिया में काम, प्ले, कॉन्सर्ट से लेकर दोस्तों और परिवारों से संपर्क सब संभव है। फेसबुक ने कहा है कि उसका इरादा एक दिसंबर से न्यू स्टॉक टिकर MVRS के तहत शेयर मार्केट में जाने का है।
 
लीक किए गए दस्तावेज़
पिछले कुछ समय में कंपनी की साख बुरी तरह से प्रभावित हुई है। आज वॉशिंगटन पोस्ट में रिपोर्ट छपी है कि महामारी के दौरान फेसबुक ने वैक्सीन से जुड़ी ग़लत सूचनाओं के बारे में अहम जानकारियों को रोक दिया था।
 
फेसबुक की पूर्व-कर्मी ने जो दस्तावेज़ लीक किए हैं, उनसे जुड़ी यह सबसे ताज़ा रिपोर्ट है। इसके अलावा ऐसी रिपोर्ट भी आई कि फेसबुक ने उस शोध को ठंडे बस्ते में डाल दिया, जिसमें कहा गया था कि इंस्टाग्राम किशोरों की मानसिक सेहत को नुक़सान पहुँचा रहा है।
 
इसके अलावा यह आरोप भी है कि अमेरिका से बाहर नफ़रत फैलाने वाली पोस्ट को नहीं हटाया।
 
इन रिपोर्ट्स पर ज़करबर्ग ने कहा है कि अपने हिसाब कुछ दस्वावेज़ चुनकर लीक किया गया ताकि कंपनी को बदनाम किया जा सके।
 
उत्तरी अमरिका में बीबीसी के टेक्नॉलजी संवाददाता जेम्स वाइटन का विश्लेषण
ज़करबर्ग ने कहा है कि उन्होंने मेटा नाम इसलिए चुना क्योंकि ग्रीक में इसका मतलब बीऑन्ड होता है। इससे मेटावर्स का भी संकेत मिलता है, जिसे ज़करबर्ग निर्मित करना चाहते हैं। लेकिन फेसबुक की यह कोशिश सफल रहेगी, इसे लेकर संशय है। जिस वक़्त को ज़करबर्ग ने ऐसा करने के लिए चुना है, उससे यही लगता है कि रीब्रैंडिंग की कोशिश है।
 
अभी कंपनी को लेकर तमाम तरह की नकारात्मक रिपोर्ट्स आ रही हैं और ज़रबर्ग इससे ध्यान हटाना चाहते हैं। आलोचकों का कहना है कि फेसबुक ने मेटा नाम इसलिए बदला है क्योंकि इसकी ब्रैंड छवि धूमिल हुई है।
 
दूसरी बात यह कि मेटावर्स अभी अस्तित्व में नहीं है। ज़करबर्ग इसे लंबी अवधि की योजना बता रहे हैं। ऐसे में आपके नए नाम का आपके उत्पाद से कोई सीधा संबंध नहीं है और यह थोड़ा अजीब है। फेसबुक का लगभग पूरा राजस्व फेसबुक और इंस्टाग्राम के विज्ञापनों से आता है।
 
तीसरी बात यह, जो कि हम सभी जानते हैं कि दूसरी बड़ी टेक कंपनी की रीब्रैंडिंग में नाकाम रही है। गूगल को कोई भी अल्फ़ाबेट से नहीं जानता है जबकि 2015 में इसकी रीब्रैंडिंग की गई थी।
 
यह स्पष्ट है कि इंस्टाग्राम और फेसबुक चलाना ज़करबर्ग के लिए कोई अब उत्साहित करने वाली बात नहीं है। वो ऑनलाइन की नई दुनिया बनाना चाहते हैं, जिसे हम वर्चुअल रियलिटी से भी जानते हैं।
 
ज़करबर्ग जिस तरह से अपनी सोशल मीडिया कंपनी चला रहा हैं, उसकी लगातार आलोचना हो रही है। इस बदलाव के ज़रिए ज़करबर्ग कंपनी की दूसरी चीज़ों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। हालाँकि हमें देखना होगा कि ज़करबर्ग के इस बदलाव को साथ लोग जाते हैं या नहीं।
 
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