मालदीव में बढ़ी आपातकाल की अवधि, अमेरिका नाराज
वॉशिंगटन। अमेरिका ने आपातकाल की अवधि को 30 दिन तक और बढ़ाने के मालदीव सरकार के निर्णय पर बुधवार को नाराजगी जताई और राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन से देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने को कहा।
मालदीव की संसद ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सिफारिशों को मंजूर करते हुए मंगलवार को देश में आपातकाल की अवधि 30 दिन और बढ़ा दी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा कि अमेरिका इस खबर से खफा है कि मालदीव के राष्ट्रपति यामीन ने देश में आपातकाल की अवधि 30 दिनों के लिए बढ़ा दी है।
हीथर ने कहा कि अमेरिका राष्ट्रपति यामीन से आपातकाल को समाप्त करने और कानून व्यवस्था बरकरार रखने, संसद और न्यायपालिका को पूर्ण और उचित कार्रवाई करने की इजाजत देने, मालदीव की जनता के संविधान प्रदत्त अधिकारों को बहाल करने और मालदीव के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार बाध्यताओं तथा प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने की अपील करता है।
मालदीव की इंडिपेंडेंट समाचार वेबसाइट की खबर में बताया गया कि मतदान के लिए केवल 38 सांसद उपस्थित थे। आपातकाल की अवधि समाप्त होने से पहले ही मतदान हुआ। संविधान के मुताबिक मतदान के लिए 43 सांसदों की जरूरत होने के बावजूद केवल 38 सांसदों ने मतदान कर दिया।
वेबसाइट के अनुसार सभी 38 सांसद सत्ताधारी दल के थे और उन्होंने आपातकाल की अवधि बढ़ाए जाने को मंजूरी दे दी। विपक्ष ने मतदान का बहिष्कार किया। अब देश में आपातकाल 22 मार्च तक जारी रहेगा। इस बीच 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' के संपादकीय में माले में चीन के बढ़ते दखल पर चिंता व्यक्त की गई है।
समाचार पत्र में कहा गया कि शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड परियोजना चीन की बढ़ती शक्तियों और प्रभाव का विस्तार करती है और माले इस नुकसान का एक उदाहरण है। अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन चीन की इस प्रवृत्ति को 'लुटेरी अर्थव्यवस्था' कहते हैं। और कई मामलों में यह सही भी है।
संपादकीय में कहा गया है कि भारत इस बात से चिंतित है कि चीन, हिन्द महासागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए मालदीव के बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकता है, साथ ही मालदीव के साथ भारत के आर्थिक संबंध घट रहे हैं। (भाषा)