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Last Updated : सोमवार, 23 मई 2016 (15:56 IST)

भारत का ईरान से बड़ा 'चाबहार' करार, खुला नया रास्ता

भारत का ईरान से बड़ा 'चाबहार' करार, खुला नया रास्ता - Iran between India chabahar port agreement
भारत ने सोमवार को ईरान के साथ महत्वाकांक्षी चाबहार बंदरगाह परियोजना के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए, जिससे अफगानिस्तान तक सीधे संपर्क के साथ-साथ मध्य एशियाई देशों तक उसकी पहुंच बढ़ जाएगी। इस परियोजना के पूरे होने पर पाकिस्तान जाए बिना ही भारत का समुद्र से नहीं जुड़े अफगानिस्तान तथा अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ आवागमन आसान हो जाएगा। चाबहार बंदरगाह पहुंचने के बाद इन देशों के साथ ईरान के माध्यम से रेल और सड़क संपर्क स्थापित हो जाएगा। 
 उल्लेखनीय है कि यह 15 साल बाद किसी प्रधानमंत्री का ईरान दौरा है। 

 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की मौजूदगी में दोनों देशों ने चाबहार परियोजना के साथ 11 अन्य समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए। दोनों नेताओं ने इस मौके पर संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में विश्वास व्यक्त किया कि चाबहार परियोजना भारत और ईरान के बीच सहयोग का नया प्रतीक बनेगा। ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यटन बढ़ाने पर जोर रहेगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या है।

मोदी ने कहा कि जल्दी ही ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय परिवहन एवं पारागमन समझौता किया जाएगा। यह ऐतिहासिक होगा और इससे तीनों देशों को आपस में जोड़ने के लिए एक नया रास्ता खुलेगा और तीनों देश आपस में बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे।
 
ईरान के साथ भारत के संबंधों को सदियों पुराने बताते हुए मोदी ने कहा कि दोनों देशों के आपसी संबंधों का क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका है। दोनों देश क्षेत्र में अस्थिरता, कट्टरवाद और आतंक फैलाने वाली ताकतों को समान रूप से सामना कर रहे हैं।
  
उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने आतंक, कट्टरवाद, मादक द्रव्यों की तस्करी और साइबर अपराध के खिलाफ संयुक्त रूप से संघर्ष करने और निगरानी रखने पर सहमति जताई है। दोनों देशों ने क्षेत्रीय सुरक्षा एवं समुद्री सुरक्षा से जुड़े रक्षा और सुरक्षा संस्थानों के बीच सहयोग संवाद बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की है। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर गंभीर विचार विमर्श किया गया। मोदी ने कहा कि भारत और ईरान की दोस्ती नई नहीं है बल्कि दोनों देश सदियों से कला, वास्तुकला, विचार एवं परंपरा, सांस्कृतिक एवं व्यापारिक रूप से आपस में जुडे हैं। मित्र एवं पड़ोसी के नाते दोनों देश एक दूसरे के विकास एवं समृद्धि में भागीदार हैं और एक दूसरे का दुख-सुख साझा करते हैं।
 
मोदी ने वर्ष 2001 में गुजरात में भूकंप के समय ईरान की मदद को याद करते हुए कहा कि मुश्किल समय में उसका साथ देने के लिए गर्व है। उन्होंने कहा कि उर्दू के महान शायर गालिब के एक शेर ''जनूनत गरबे नफ्से-खुद तमाम अस्त ज़े-काशी पा-बे काशान नीम गाम अस्त'' का उल्लेख करते हुए उम्मीद जताई कि दोनों देश एक दूसरे के प्रति व्यक्त की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे। 
 
मोदी ने इस शेर का अर्थ समझाते हुए कहा कि अगर हम निश्चय कर लें तो काशी और काशान के बीच केवल आधे कदम का फासला है। काशान ईरान का एक ऐतिहासिक शहर है।
 
भारत को ये होगा क्या होगा फायदा : त्रिकोणीय समझौते के बाद भारत-ईरान-अफगानिस्तान के बीच नया रास्ता खुल जाएगा। अब इसमें पाकिस्तान की जरूरत नहीं रहेगी।  भारत ईरान और अफगानिस्तान के त्रिपक्षीय समझौते से अब भारत को पाकिस्तान की जरूरत नहीं है। समझौते के बाद आसानी से अफगानिस्तान पहुंचा जा सकेगा। इससे भारत को ईरान से तेल आदि मंगाने में आसानी रहेगी।

चाबहार बंदरगाह में भारत अब बड़ा निवेश कर सकेगा। भारत इसे डेवलप करेगा। इस बंदगाह के माध्यम से भारत-ईरान सीधे कारोबार कर सकेंगे। भारत, ईरान के जहाजों को पाक से नहीं जाना होगा बल्की यहां से भारत अफगानिस्तान के रास्ते रूस तक जा सकेगा। इस समझौते से गैस, पेट्रोल और यूरिया सस्ता होगा।  (वार्ता)
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