बीजिंग। नेपाल में शनिवार को आए भीषण भूकंप में चार चीनी नागरिक मारे गए जबकि सैकड़ों चीनी पर्यटक अब भी वहां फंसे हुए हैं। काठमांडू स्थित चीनी दूतावास ने कहा कि 7.9 तीव्रता के भूकंप की वजह से चार चीनी मारे गए।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार मृतकों में एक पर्यटक, एक पर्वतारोही और एक चीनी कंपनी के दो कर्मचारी शामिल हैं। चीनी पर्यटन अधिकारियों ने रविवार को बताया कि भूकंप के बाद नेपाल में करीब 683 चीनी पर्यटक फंसे हुए हैं।
चीनी राष्ट्रीय पर्यटन प्रशासन ने कहा कि नेपाल में इस समय करीब 52 चीनी पर्यटक समूह और दूसरे पर्यटक फंसे हुए हैं।
अकेले काठमांडू घाटी में 1053 लोगों के मरने की खबर है। मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश और उन्हें बचाने का प्रयास जारी है और अधिकारियों को अंदेशा है कि मृतकों की संख्या में और भी इजाफा हो सकता है।
बचावकर्मी मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए भारी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। जगह जगह लोग हाथ से भी मलबा हटा कर लोगों को बचाने की कोशिश में जुटे हैं। बहरहाल, उनकी यह कोशिश भूकंप के ताजा झटकों और गरज के साथ बारिश से बाधित हो रही है।
मलबे के नीचे से लोगों को बचाने की इस मुहिम में स्थानीय लोगों के साथ सैलानी भी जुटे हैं। जब लोग मलबे में दफन किसी को जिंदा बचाने में कामयाब होते हैं तो खुशी की लहर दौड़ जाती है।
भूकंप के इन झटकों ने बेइंतहा तबाही मचाई। भूकंप के कारण ऐतिहासिक धरहरा मीनार सहित बेशुमार इमारतें और मकान ध्वस्त हो गए। राजधानी काठमांडू के बीचों-बीच स्थित दरबार स्क्वायर भी नहीं बच पाया। मलबे के नीचे अनेक लोग दबे हैं।
अस्पतालों में घायलों की भीड़ है और सीमित संसाधनों के बावजूद वहां उनके इलाज की कोशिश की जा रही है। दर्जनों शव इन अस्पतालों में लाए गए हैं।
भूकंप के लगातार झटकों से लोगों में इतनी दहशत फैल गई कि कंपकपाती ठंड के बावजूद लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारी। नेपाल के इतिहास में 80 साल से अधिक समय में यह सर्वाधिक भयावह प्राकृतिक आपदा बताई जाती है।
भूकंप के रविवार को के ताजा झटके से जुड़ी प्राथमिक रिपोटरें के अनुसार त्रिशुली पनबिजली परियोजना में एक गुफा ढह गई और अंदेशा है कि तकरीबन 60 श्रमिक उसमें फंसे हैं। इस बीच भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकाप्टरों ने घायलों को निकालने के लिए पांच उड़ानें भरी। घायलों को सैन्य अस्पतालों में ले जाया गया है।
इस बीच, भूकंप से माउंट एवरेस्ट में हिमस्खलन से बर्फ के नीचे दब कर कम से कम 17 पर्वतारोहियों की मौत की रिपोर्ट है। इन पर्वतारोहियों में कई विदेशी भी हैं। यूएस जियोलोजिकल सर्वे के अनुसार ताजातरीन झटका भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बज कर 39 मिनट पर 10 किलोमीटर की गहराई में आया।
यह झटका राजधानी काठमांडू से 114 किलोमीटर उत्तर चीन के तिब्बती स्वायत्तशासी क्षेत्र के निकट दर्ज किया गया।
रिपोर्टों के अनुसार माउंट एवरेस्ट के आधार-शिविर तक जाने वाला रास्ता तबाह हो चुका है और भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर वहां लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। वहां तकरीबन 100 लोग है और उन्हें सुरक्षित बताया जा रहा है।
एक पर्वतारोही जिम डेविडसन ने बताया कि उसने माउंट एवरेस्ट के कैंप वन पर भूकंप का झटका महसूस किया। उन्होंने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि बस अभी एवरेस्ट पर यहां सी1 पर एक और सबसे जबरदस्त झटका महसूस किया। मूल झटके से कम, लेकिन हिमनद थरथराए और हिमस्खलन हुआ। सातों महाद्वीपों में सबसे उंची चोटी फतह करने की कोशिश कर रहे 54 वर्षीय भारतीय अंकुर बहल भी अपने 11 सह-पर्वतारोहियों के साथ माउंट एवरेस्ट के कैंप-2 में फंसे हैं।
बहल के दोस्तों ने नई दिल्ली में बताया कि वह शनिवार को कैंप-1 से कैंप-2 गए थे, लेकिन भूकंप की वजह से अब फंसे हुए हैं।
इस बीच, भारतीय दूतावास के एक अधिकारी ने बताया कि भूकंप में मारे गए लोगों में दो भारतीय भी हैं। इनमें से एक भारतीय दूतावास के कर्मी की पुत्री है। भूकंप के कारण भारतीय दूतावास परिसर में स्थित एक मकान ध्वस्त हो गया जिससे सीपीडब्ल्यूडी के एक कर्मी की पुत्री की मौत हो गई। यहां स्थित बीर अस्पताल में एक और भारतीय की मौत की रिपोर्ट है। (भाषा)