'नेताजी और पटेल के योगदान को वर्षों तक मान्यता नहीं दी गई', अमित शाह का बयान
पोर्ट ब्लेयर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि जानेमाने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान को कई वर्षों तक जानबूझकर कमतर दिखाने की कोशिश की गई और नेताजी सुभाष चंद्र बोस तथा सरदार वल्लभभाई पटेल को उचित पहचान, सम्मान या महत्व नहीं मिला।
यहां कई परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद शाह ने कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का तीर्थ होना चाहिए और देश के युवाओं को क्रांतिकारियों द्वारा भुगती गई काला पानी की सजा के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
शाह ने कहा, देशभक्तों के लिए यह द्वीप समूह बेहद महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि नेताजी ने इस जमीन पर पहली बार 1943 में तिरंगा फहराया था और 1945 तक दो साल इसे ब्रिटिश राज से मुक्त रखा। उन्होंने कहा,इसके बावजूद, नेताजी और वल्लभभाई पटेल, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत को एक किया, उन्हें कई सालों तक मान्यता, सम्मान या महत्व नहीं दिया गया। कुछ जानेमाने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके योगदान को कम करने का जानबूझकर प्रयास किया गया।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इसे ठीक करने के लिए गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्थापित की और 23 जनवरी (सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन) को पराक्रम दिवस मनाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि द्वीप समूह में उस स्थान पर एक विशाल तिरंगा लगाया गया है जहां आजाद हिंद फौज के प्रमुख (बोस) ने झंडा फहराया था।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि अंडमान निकोबार में 299 करोड़ रुपए की 14 परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया है और 643 करोड़ रुपए की 12 परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है। उन्होंने कहा कि जिस पुल का उद्घाटन किया गया है उसका नाम, भारत की स्वतंत्रता के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा की गई 35 हजार किलोमीटर यात्रा के सम्मान में आजाद हिंद फौज पुल रखा जाएगा।
शाह ने कहा कि माउंट हैरिएट, जहां मणिपुर के महाराजा कुलचंद्र ध्वज सिंह और 22 अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को जेल में रखा गया था, उसका नाम माउंट मणिपुर रखा जाएगा। शाह ने रानी लक्ष्मीबाई द्वीप, शहीद द्वीप ईको टूरिज्म प्रोजेक्ट तथा स्वराज द्वीप वाटर एरोड्रोम का हवाई सर्वेक्षण भी किया।(भाषा)