व्हाइट हाउस को क्यों माना जाता है भुतहा?
बहुत कम लोग जानते होंगे की अमेरिका के कुछ लोग व्हाइट हाउस को शापित या भुतहा मानते हैं। हालांकि कई लोगों का मानना है कि यह एक भ्रम है। फिर भी लोगों के बीच यह भ्रम कई सालों से विद्यमान है। आखिर व्हाइट हाउस को क्यों माना जाता है भुतहा?
दरअसल, दुनिया के भुताहा स्थानों में अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास स्थान व्हाइट हाउस को भी गिना जाता है। सभी जानते हैं कि इस भवन में अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हैं। वरन इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति जॉन एडम्स की आत्मा आज भी यहीं रहती है। उल्लेखनीय है कि एडम्स ने अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
बहुत से लोगों ने यहां अक्सर ऐसे बूढ़े व्यक्ति को घूमते हुए देखा है, जो एक ही नजर में आंखों से ओझल हो जाता है। कुछ लोग इस बूढ़ी परछाई को अब्राहम लिंकन की आत्मा कहते हैं, लेकिन इस परछाई के पहनावे और व्यवहार से इसे जॉन एडम्स का ही प्रेत कहा जाता है।
बहुत से लोग यह भी मानते हैं कि व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का भूत भी घूमता रहता है। अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे। लिंकन के सरकाकरी आवास व्हाइट हाउस में अप्रैल 1865 में इनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के कुछ ही दिन बाद पूरे व्हाइट हाउस में सन्नाटा पसर गया था। इसके कुछ समय बाद कुछ लोगों ने दावा किया की अब्राहम लिंकन का भूत अक्सर व्हाइट हाउस में दिखाई देता है।
राष्ट्रपति ग्रेस कुलीज की पत्नी केल्विन कुलिज ने बताया कि उन्हें आभास हुआ कि राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन व्हाइट हाउस के ओवल दफ्तर की खिडकी के पास खडे हुए दिखाई दिए। तो कई बार उन्हें अहसास हुआ की उनके आस पास अब्राहम लिंकन बैठे हुए है।
ऐसा भी कहा जाता है कि अमेरिका यात्रा के दौरान नीदरलैंड की महारानी व्हिलमिना एक बार जब व्हाइट हाउस में रूकी हुई थी। तब देर रात उनका किसी ने दरवाजा खटखटाया। जब उन्होंने दरवाजा खोला तो उन्होंने सामने राष्ट्रपति लिंकन को वहां खड़े पाया। इसी तरह एक बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी एक बार व्हाइट हाउस में रूके थे। जब वो नाहाकर बाहर आए तो उन्होंने देखा की सिगड़ी के पास जहां आग जल रही थी वहां अब्राहम लिंकन बैठे हुए थे। यह देखकर वे घबरा गए थे।
साल 1791 में प्रेसिडेंट जॉर्ज वॉशिंगटन के वास्तुविद जेम्स हॉबेन ने वाइट हाउस का डिजाइन तैयार किया था, जिसे बनने में 8 साल लग गए थे। 8 सालों बाद साल 1800 में प्रेसिडेंट जॉन एडम्स यहां पहली बार आए। साल 1812 में लड़ाई के दौरान प्रेसिडेंट हाउस को अंग्रेजों ने आग लगा दी, जिसके बाद जेम्स हॉबेन ने दोबारा इसपर काम किया। यहां 132 कमरे, 35 बाथरूम, 3 लिफ्ट और 6 मंजिलें हैं। अलग-अलग रंगों के कमरों को उनके रंगों के नाम से जाना जाता है- जैसे ब्लू रूम या वाइट रूम। सेंट्रल हॉल से सारे कमरे जुड़े हुए हैं। इसके भीतर ही गुप्त जगहें और बंकर भी है। वैसे प्रेसिडेंट हाउस को वाइट हाउस नाम प्रेसिडेंट थियोडोर रुजवेल्ट ने साल 1901 में दिया था, जिसके बाद से यही नाम चल रहा है।