भीमराव रामजी अंबेडकर, बाबा साहेब अंबेडकर नाम से लोकप्रिय थे। वे भारतीय अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। अंबेडकर भारतीय इतिहास के ऐसे महान व्यक्ति हैं जिन्होंने दलितों को सामाजिक अधिकार दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
आइए जानें बाबा साहेब अंबेडकर के 20 अमूल्य विचार
1. हम सबसे पहले और अंत में भी भारतीय हैं।
2. मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए।
3. भाग्य में विश्वास रखने के बजाए अपनी शक्ति और कर्म में विश्वास रखना चाहिए।
4. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
5. जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है, वो आपके किसी काम की नहीं।
6. जीवन लंबा होने की बजाए महान होना चाहिए।
7. उदासीनता एक ऐसे किस्म की बीमारी है जो किसी को प्रभावित कर सकती है।
8. यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
9. जो कौम अपना इतिहास तक नहीं जानती है, वे कौम कभी अपना इतिहास भी नहीं बना सकती है।
10. यदि मुझे लगेगा की संविधान का दुरुपयोग हो रहा है तो सबसे पहले मै इस संविधान को ही जलाऊंगा।
11. एक इतिहास लिखने वाला इतिहासकार सटीक, निष्पक्ष और ईमानदार होना चाहिए।
12. समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
13. हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।
14. एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है।
15. पति-पत्नी के बीच का संबंध घनिष्ठ मित्रों के संबंध के समान होना चाहिए।
16. हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि 'एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता' को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता।
17. इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो।
18. मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं।
19. समाज में अनपढ़ लोग है ये हमारे समाज की समस्या नहीं है लेकिन जब समाज के पढ़े-लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगते है और गलत को सही दिखाने के लिए अपने बुद्धि का उपयोग करते है यही हमारे समाज की समस्या है।
20. कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।..