मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. प्रेरक व्यक्तित्व
  4. 23 March Shaheed Diwas
Written By

भारतमाता के 3 क्रांतिकारी सपूतों का शहीद दिवस

भारतमाता के 3 क्रांतिकारी सपूतों का शहीद दिवस - 23 March Shaheed Diwas
* भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव शहीद दिवस
 
23 मार्च यानी देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्यौछावर करने वाले तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस।

भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत के वे सच्चे सपूत थे, जिन्होंने अपनी देशभक्ति और देशप्रेम को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व दिया और मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर कर गए। यह दिवस न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने वा गौरव का अनुभव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भीगे मन से श्रद्धांजलि देता है।

 
उन अमर क्रांतिकारियों के बारे में आम मनुष्य की वैचारिक टिप्पणी का कोई अर्थ नहीं है। उनके उज्ज्वल चरित्रों को बस याद किया जा सकता है कि ऐसे मानव भी इस दुनिया में हुए हैं, जिनके आचरण किंवदंति हैं। भगतसिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उनके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी।

 
'आदमी को मारा जा सकता है उसके विचार को नहीं। बड़े साम्राज्यों का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं और बहरे हो चुके लोगों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज जरूरी है।' बम फेंकने के बाद भगतसिंह द्वारा फेंके गए पर्चों में यह लिखा था।
 
भगतसिंह चाहते थे कि इसमें कोई खून-खराबा न हो तथा अंग्रेजों तक उनकी आवाज पहुंचे। निर्धारित योजना के अनुसार भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेम्बली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था। इसके बाद उन्होंने स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना संदेश दुनिया के सामने रखा। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स की हत्या में भी शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चला।

 
यह मुकदमा भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में लाहौर षड्यंत्र के नाम से जाना जाता है। करीब 2 साल जेल प्रवास के दौरान भी भगतसिंह क्रांतिकारी गतिविधियों से भी जुड़े रहे और लेखन व अध्ययन भी जारी रखा। फांसी पर जाने से पहले तक भी वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। 
 
भगतसिंह : भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था और 23 मार्च 1931 को शाम 7.23 पर भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फांसी दे दी गई। 
 
राजगुरु : 24 अगस्त, 1908 को पुणे जिले के खेड़ा में राजगुरु का जन्म हुआ। शिवाजी की छापामार शैली के प्रशंसक राजगुरु लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से भी प्रभावित थे। पुलिस की बर्बर पिटाई से लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने 19 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स को गोली मार दी थी और खुद ही गिरफ्तार हो गए थे।

 
सुखदेव : सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को पंजाब को लायलपुर पाकिस्तान में हुआ। भगतसिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर में पास-पास ही रहने से इन दोनों वीरों में गहरी दोस्ती थी, साथ ही दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे। सांडर्स हत्याकांड में इन्होंने भगतसिंह तथा राजगुरु का साथ दिया था।