दिवाली : रंगोली के लिए आजमाएं नए आइडियाज
- अर्चना जैन
प्रायः अल्पना एवं रंगोली बनाने में कलई का सफेद रंग, गेरू का लाल रंग, पीली मिट्टी का पीला रंग तथा अनेक रंग-बिरंगे गुलाल उपयोग में लिए जाते हैं। रंगों का चयन पारंपरिक रूप से त्योहार या पर्व पर आधारित भी रहता है। करवा चौथ एवं अहोई अष्टमी पर अनेक रंगों को उपयोग में लिया जाता है तथा देवउठनी एकादशी पर फर्श पर कलाई रंग गेरू से अल्पना या मांडणे बनाए जाते हैं। आइए इनसे जुड़ी कुछ बातें जानें- अल्पना तैयार करने के लिए गेरू, खड़िया तथा रंगोली के लिए सूखे रंगों जैसे गुलाल एवं अन्य सूखे रंगों का उपयोग किया जाता है। इनकी रचनाओं का आधार प्रायः ज्यामितीय आकृतियां होती हैं। अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से रंग भरे जाते हैं। राजस्थान में मांडने, गेरू व गोबर से लीपकर खड़िया के घोल, मेहंदी, काजल, हल्दी एवं रोली के प्रयोग द्वारा बनाए जाते हैं। कई जगह ये रंगीन पावडर, गुलाल, आटा आदि से भी बनाए जाते हैं। जिस स्थान पर आप रंगोली बनाने जा रही हैं, वह समतल हो। दरवाजे से एकदम सटकर रंगोली न बनाएं, इसे कुछ दूरी पर बनाएं, इससे आने-जाने वालों के पैर रंगोली पर नहीं पड़ेंगे।यदि फर्श अच्छा है तो पहले फर्श को पीली मिट्टी से पोतकर चिकना कर लें।