कैसा हो घर अपना, ऐसा हो घर अपना
- रवीन्द्र गुप्ता
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घर' यह एक सुंदर व सुखद नाम है। घर अधिकतर लोगों के पास हुआ करता है। थोड़े से ही लोग हैं जिनके पास घर नहीं है। अधिकतर व्यक्ति घर प्राप्ति हेतु प्रयासरत रहते हैं। घर के बारे में कहा जाता है कि 'पुरुष मकान बनाता है और स्त्री घर'।यह बात बहुत गहरी है, क्योंकि पुरुष द्वारा 'मकान' यानी सीमेंट-कांक्रीट आदि का ढांचा बनाया जाना और 'घर' यानी उसमें संस्कार आदि डालने का काम स्त्री द्वारा किया जाना। 'मकान' बनाना थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन उससे ज्यादा कठिन है 'घर' बनाना। और यह काम स्त्रियों के बस का ही है, पुरुषों के बस का नहीं।घर जैसी बात कहीं नहीं एक प्रसिद्ध लेखक ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि मैं सारी दुनिया घूमा हूं लेकिन घर जैसी बात कहीं नहीं मिली। उसने लिखा था- 'मैं दुनिया के तमाम धर्मों के धर्मस्थल पर गया, पहाड़ों तथा मैदानों की सैर की, बड़ी-बड़ी फाइव स्टार होटलों में गया, समस्त धर्माचार्यों के पास भी गया, बड़े-बड़े फिल्म कलाकारों के पास भी गया, बड़ी-बड़ी राजनीतिक हस्तियों के पास भी गया किंतु मुझे वो संतुष्टि नहीं मिली, जो अपने 'घर' पहुंचने पर मिली।' तो यह है घर की महत्ता। आराम की जगह यानी घर घर या निवास व्यक्ति व उसके परिवार हेतु शरण या आराम की जगह होता है। यहां पर आप परिवार के आराम की व्यवस्था के साथ निजी संपत्ति का संग्रह भी कर सकते हैं। घर में आप अपने सुख-दुख की बातें भी बांट सकते हैं। घर से ही व्यक्ति को उचित संस्कार मिलते हैं। कुसंस्कारी तो कोई-कोई ही होता है।घर निर्माण से पहले घर निर्माण से पहले जमीन खरीदी जाती है। जमीन अच्छी जगह पर ही खरीदना चाहिए। जमीन खरीदने से पहले आकाशीय-प्रकाशीय ऊर्जा का भी ध्यान रखना चाहिए। बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि मकान निर्माण हेतु जमीन श्मशान घाट या कब्रिस्तान की नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इनसे नकारात्मक ऊर्जा का निस्सारण होता है। जमीन हमेशा साफ-सुथरी जगह पर व हवादार होनी चाहिए।इमारत निर्माण में पुरानी ईंटों का कदापि इस्तेमाल न करें। निर्माण कार्य में लकड़ी व लोहे का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। मकान निर्माण के दौरान आसपास में चहारदीवारी (बाउंड्री वॉल) जरूर बनाना चाहिए, जिससे कि घर की सुरक्षा बनी रहे।घर में हो एक मंदिरघर में एक छोटा-सा मंदिर भी बनाया जा सकता है, ताकि धार्मिक व आध्यात्मिक वातावरण बना रहे। घर में मंदिर होने से सुख-शांति का बसेरा बना रहता है तथा निवास करने वालों पर भी उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हां, यह जरूर ध्यान रखा जाए कि मंदिर तथा उसमें विराजमान होने वाले देवी-देवताओं का मुंह पूर्वाभिमुख हो। वास्तु का भी ध्यान रखा जाएमकान निर्माण के दौरान अक्सर लोग वास्तु के बारे में ध्यान नहीं रखते, जबकि यह काम भी बहुत जरूरी में किया जाना चाहिए। अरे भाई, वास्तुविद् ही आपको बताते हैं कि कहां डाइनिंग रूम, कहां बेडरूम तथा कहां किचन रूम आदि बनाया जाना चाहिए। वास्तुविद् के बताए अनुसार मकान बनाने से उसमें रहने वालों को किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं आती और या आती भी है तो बहुत ही मामूली-सी। वास्तुविद् घर की संरचना के साथ ही घर में कौन-सा सामान किस जगह रखना है इसके बारे में बहुत जरूरी बातें भी बताते हैं जिससे वस्तुओं से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा का हमारे तन-मन-धन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा घर के हर सदस्य पर भी इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। वास्तु पूजन हो घर में निवास से पूर्व वास्तु पूजन जरूर करवाना चाहिए। इसे भवन (मकान) निर्माण के दौरान हुई असंख्य जीवों की अनजाने में हुई मौत का प्रायश्चित माना जाता है। पंडित द्वारा उच्चारित श्लोकों का भी घर के वायुमंडल में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।तो इस प्रकार की कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखकर आप मकान (बाद में घर) बनाएं तो आपको काफी सुख-शांति व समृद्धि मिल सकती है। इसी के साथ आप भी गुनगुना उठेंगे कि- 'ये तेरा घर ये मेरा घर, ये घर बहुत हसीन है'।