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Written By ND

होलिका दहन सूर्यास्त के बाद

पूर्व दिशा की ओर मुँह करें

Holi 2010 | होलिका दहन सूर्यास्त के बाद
इस बार होलिका दहन सूर्यास्त के बाद कभी भी किया जा सकेगा। पिछले साल जैसा इस बार भद्रा रोड़ा नहीं है। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र व सिंह राशि की उपस्थिति से होलिका दहन के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है।

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रविवार, 28 फरवरी को होलिका दहन किया जाएगा। सूर्यास्त के बाद यानी प्रदोष काल में होलिका दहन किया जा सकेगा। पं. आशुतोष झा ने बताया कि 28 फरवरी को भद्रा नक्षत्र सुबह 11.58 बजे समाप्त हो जाएगा। होलिका दहन रात में किए जाने की परंपरा है, इसलिए भद्रा नक्षत्र का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। भद्रा नक्षत्र में होलिका दहन व रक्षाबंधन निषेध होता है।

उन्होंने कहा कि 28 फरवरी को शाम 5.56 बजे से पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र रात भर रहेगा। सिंह राशि की उपस्थिति भी रहेगी। सूर्य की राशि सिंह होने के कारण होलिका दहन श्रेष्ठ फल देगा। लोग शाम 5.56 बजे के बाद अपनी सुविधानुसार कभी भी होलिका दहन कर सकते हैं। होलिका दहन के लिए प्रदोष काल श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन शाम के वक्त लोगों की चहल-पहल रहने के कारण यह व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हो पाता।

ज्योतिषी के अनुसार पूर्व दिशा की ओर मुँह कर होलिका दहन किया जाना चाहिए। इसके पहले इत्र या चंदन से पूजन करने के बाद होलिका दहन किया जाना चाहिए। पीड़ा व अन्य कष्टों के निवारण के लिए होलिका का तीन बार परिक्रमा किया जाना चाहिए।