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Written By WD

मैं फागुनिया रंग में रंग गई!

मैं फागुनिया रंग में रंग गई! - Holi Poem In Hindi
निशा माथुर 
पियाजी मोरे फाग खेलत छुप-छुप के,
सैंया जी मोरे फाग खेलत छुप-छुप के,
 
मैं फागुनिया रंग में रंग गई,
शरमाऊं घूंघट से...
पियाजी मोरे फाग खेलत छुप-छुप के
 

होलीया में उड़े गुलाल अबीरा
टिमकी ढोलक, झांझ मजीरा
चंग की थाप जियरा धड़के!
पियाजी मोरे फाग खेलत छुप-छुप के,
 
आंगन चहकी सोन चिरैया
मैं राधा बन हुई बावरि‍या
नैनन प्रीत तोरी छलके
पियाजी मोरे फाग खेलत छुप-छुप के,
 
ज्यूं डाली बोले कोयलिया
गुनगुन करता भंवरा छलिया
बहियां पकड़ करे जोरे
पियाजी मोरे फाग, खेलत छुप-छुप के,
 
जा देखे तोरे रंग कन्हैया
रंग दी नी मोरी धानी चुनरि‍या
सूरत अबीरीया मलके
पियाजी मोरे फाग खेलत छुप-छुप के,
 
मैं फागुनिया रंग में रंग गई,
शरमाऊं घूंघट से
पियाजी मोरे फाग खेलत छुप-छुप के
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