Kalika mata rahasya: कलयुग में हनुमानजी, मां कालिका और भगवान भैरवनाथ को सबसे सक्रिय और जागृत देव मना गया है क्योंकि ये भक्तों की तुरंत ही सुनते हैं। इसनी पूजा, भक्ति और साधना तुरंत ही फल देने वाल कही गई है। तीनों में से किसी एक की ही शरण में रहना चाहिए। मां काली को देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से एक माना जाता है। यदि मां कालिका के भक्त हैं तो जानिए 7 ऐसे रहस्य जो आप शायद ही जानते होंगे।
1. मां कालिका के रूप : माता कालिका के अनेक रूप हैं जिनमें से प्रमुख है- 1.दक्षिणा काली, 2.शमशान काली, 3.मातृ काली और 4.महाकाली। इसके अलावा श्यामा काली, गुह्य काली, अष्ट काली और भद्रकाली आदि अनेक रूप भी हैं। सभी रूपों की अलग अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं।
2. मां कालिका की पूजा का समय : शुक्रवार को माता कालिका की विशेष पूजा आराधना की जाती है। मध्य रात्रि का समय भी कालिका का समय होता है। चौदस और अमावस्या की तिथि माता कालिका की विशेष तिथि हैं। गुप्त नवरात्रि, नरक चतुर्दशी और दीपावली पर विशेष साधना होती है।
3. मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।
दूसरा साबर मंत्र- ॐ नमो काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिह्वा वाली,
चार वीर भैरों चौरासी, चार बत्ती पूजूं पान ए मिठाई,
अब बोलो काली की दुहाई।
4. कालीका के प्रमुख चार स्थान है:- कोलकाता में कालीघाट पर जो एक शक्तिपीठ भी है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में भैरवगढ़ में गढ़कालिका मंदिर इसे भी शक्तिपीठ में शामिल किया गया है और गुजरात में पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित महाकाली का जाग्रत मंदिर चमत्कारिक रूप से मनोकामना पूर्ण करने वाला है। जबलपुर के पास मैहर में मां शारदा भी कालिका का ही मंदिर है।
5. राक्षस वध : मा कालिका ने महिषासुर, चंड, मुंड, धूम्राक्ष, रक्तबीज, शुम्भ, निशुम्भ आदि राक्षसों के वध किए थे।
6. काली मां की उत्पत्ति : श्रीमार्कण्डेय पुराण एवं श्रीदुर्गा सप्तशती के अनुसार काली मां की उत्पत्ति जगत जननी मां अम्बा के ललाट से हुई थी। परंतु कुछ पुराणों में इसको लेकर अलग अलग कथाएं भी मिलती है। महाकाल की काली। 'काली' का अर्थ है समय और काल। काल, जो सभी को अपने में निगल जाता है। भयानक अंधकार और श्मशान की देवी। वेद अनुसार 'समय ही आत्मा है, आत्मा ही समय है'। मां कालिका की उत्पत्ति धर्म की रक्षा और पापियों-राक्षसों का विनाश करने के लिए हुई है। काली को माता जगदम्बा की महामाया कहा गया है। मां ने सती और पार्वती के रूप में जन्म लिया था। सती रूप में ही उन्होंने 10 महाविद्याओं के माध्यम से अपने 10 जन्मों की शिव को झांकी दिखा दी थी।
7. कृष्ण और कालीका मां : भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के 8वें अवतार हैं लेकिन देवी और कालिका पुराण अनुसार वे विष्णु के नहीं बल्कि कालिका माता के अवतार थे। देवी पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु के नहीं बल्कि मां काली के अवतार थे, वहीं उनकी प्रेमिका राधा, देवी लक्ष्मी का स्वरूप नहीं, अपितु महादेव का अवतार थीं।