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नए जीवन का संदेश
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नीति अग्निहोत्री फिर उगे हैं नए पलउसी वृक्ष की डाली परजिसे प्यार और अपनत्वके जल से सींचा थाउन नए पलों से झरेगा अबमानवता का प्यार परागकब तक उस वृक्ष पर खिलेफूलों के दिल की पुकार कोअनसुना करते रहेंगे भँवरे चाहत केकब तक रूकी रहेगी प्रीत की गुंजनकब तक थमी रहेगी मधुरता की धड़कनअब तो पूरे वृक्ष में दौड़ेगा नया आनंद रसजो नई सुखद अनुभूतियों की रागिनी सेपरिपूर्ण होकर छलकेगा विश्वमय होकरनए जीवन का संदेश देगा धरा को ।