ऋतुराज वसंत पर हाइकु रचना : सजा वसंत...
हाइकु 66
केसरी धूप
क्षितिज में सर्वत्र
सजा वसंत।
कस्तूरी गंध
ऋतुराज महका
साजन संग
नव कोंपलें
प्यारे से मनमीत
अंग उमंग।
पीत चूनर
ऋतुराज झूमर
नाचे मयूर।
प्रेम के गीत
मदमाती-सी प्रीत
वसंत रीत।
फूली सरसों
वसुधा पुलकित
झूमा वसंत।
रसविलास
चंचल चितवन
ऋतु हुलास।
भ्रमर झूलें
धरा बिछी पीतिमा
बौराये मन।
प्रीत का राग
मीठी पीर समाई
गोरी मुस्काई।
प्रीत के रंग
अलसाये से रंग
ऋतु अनंग।
आम के बौर
खिलीसी कचनार
फूले पलाश।