• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Suicide Poems
Written By

हिन्दी कविता : मांगी हुई दुआ

हिन्दी कविता : मांगी हुई दुआ - Suicide Poems
- कैलाश यादव 'सनातन' 
 
(आत्महत्या करने वालों को समर्पित)
 

 
 
 
जब-जब तूने मारा खुद को, संग-संग तेरे दर्द हुआ है...
क्यूं नहीं समझा ये सच्चाई, तू इक मांगी हुई दुआ है।
 
हाड़-मांस का नहीं तू पुतला, न ही कोई पत्थर है...
ना तू कोई टूटा पत्ता, ना ही हारा हुआ जुआ है... 
क्यूं नहीं समझा ये सच्चाई, तू इक मांगी हुई दुआ है।
 
इतने सारे मंदिर-मस्जिद, इतने सारे हाकिम हैं...
नहीं समझ अकेला खुद को, जिंदा अभी ये खादिम हैं...
कायनात जब तेरे अंदर, फिर हमसे क्यूं जुदा हुआ है...
क्यूं नहीं समझा ये सच्चाई, तू इक मांगी हुई दुआ है।
 
क्या कभी किसी चींटी ने, खुद ही खुद को मारा है...
क्या कभी हाथी को देखा, जो खुद ही खुद से हारा है...
 
जिनको तू नादान समझता, सबके सब तो जिंदा हैं...
आखिर तेरी मति कहां है, ये सब कैसे, और क्यूं हुआ है...
क्यूं नहीं समझा ये सच्चाई, तू इक मांगी हुई दुआ है।