शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. poem on women
Written By

कविता : नारी तेरे रूप अनेक

कविता : नारी तेरे रूप अनेक - poem on women
- शिवानी गीते 
 
 
मैंने पूछा लोगों से नारी क्या है?
किसी ने कहा मां है, किसी ने कहा बहन,
किसी ने कहा हमसफर है, तो किसी ने कहा दोस्त।
सबने तुझे अलग रूपों में बयां कर दिया।
 
अब मैं क्या तेरे बारे में कहूं।
तू ममता की मुर्त है,
तू सच की सूरत है,
तू रोशनी की मशाल है जो अंधकार से ले जाती है परे।
 
तू गंगा की बहती धारा का वो वेग है जो पवित्र और निश्चल है।
तेरे रूप तो कई है,
तू अन्नपूर्णा है, तू मां काली है।
तू ही दुर्गा, तू ही ब्राह्मणी है।
 
मां यशोदा की तरह तूने कृष्ण को पाला,
गौरी बन शिव को संभाला।
तू हर घर के आंगन की तुलसी है,
तू ही सबका मान है,तू ही अभिमान है,
 
नवरात्री में तू नौ रूपों में पूजी जाती है।
लेकिन तेरे नौ नहीं तेरे तो अनेक रूप है,
ऐ नारी तुझे नमन।