नारी की महिमा बताती कविता : शत-शत तुम्हें मैं प्रणाम करूं
माता बनकर तूने जन्म दिया
हष्ट-पुष्ट बलवान किया
सबसे पहले तेरा अभिनंदन
दिन-दोपहरिया-शाम करूं
शत-शत तुम्हें मैं प्रणाम करूं।
बहन बनकर साथ-संग रहे
रिश्ते तूने निभाया
मर्यादा को बचा के रखा
तेरे पैरों में हाथ जोड़ूं
शत-शत तुम्हें मैं प्रणाम करूं।
पत्नी बन पतिव्रता संग मेरा साथ निभाया
मैं तेरे आंगन अपना पौध लगाया
तेरी-करनी धरनी का मैं भी तो
गुणगान करूं
शत-शत तुम्हें मैं प्रणाम करूं।