रविवार, 15 दिसंबर 2024
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उनकी नादानी बेमिसाल

उनकी नादानी बेमिसाल - Poem, literature, Rahul Gandhi
अपनी जेब में लिए घूम रहे हैं भूचाल वे। 
विस्फोट को अब तक रहे हैं टाल वे।।
 
खुशफहमी है उन्हें कि अपनी भाषण कला से, 
कर देंगे एक दिन सत्ता पक्ष को बेहाल वे।। 
 
अव्यवस्थाओं के घनघोर अंधेरों में बस, 
समझ रहे हैं खुद को जलती मशाल वे।। 
 
अपने बचकाने आत्मविश्वास से क्यों बार बार। 
बनते रहे हैं अनर्गल बयानों की मिसाल वे।। 
 
अपने सहधर्मी बयानबाज दिल्लीवाल के साथ। 
हजम नहीं कर सकते मोदी का कोई कमाल वे।। 
 
व्हाट्सएप पर जोकों/ शगूफों के लिए
नित नए मसाले दे रहे हैं फ़िलहाल वे।। 
 
अपनी नादान हरकतों से गंभीर पार्टीजनों के लिए। 
बन न जाएं एक दिन जी का जंजाल वे।। 
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