नारी जीवन : नारी पर आधारित कविता
नारी जीवन....
आंखों से रूठी नींद
बोझिल सी पलकें
पहाड़-सी जिम्मेदारियां ढोती
कभी गिरतीं
कभी संभलतीं
सूरज के जगने से पहले
बहुत पहले
होती शुरू
यात्रा लंबे सफर की
कई मंजिलें, कई रुकावटें
कभी उड़तीं, कभी लड़खड़ातीं
नारी जीवन
कभी निर्जन, कभी उपवन..!!