सोमवार, 28 अप्रैल 2025
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मधुमास पर कविता : मधुर-मधुर बहती हवाएं...

Madhu Mas
मधुर-मधुर बहती हवाएं,
छेड़ रहीं संवाद।
प्रकृति छटा बिखेर रही,

 
आया है मधुमास।
 
आया है अनोखा मास,
उमंगें उड़ रही हैं।
भंवरा गीत सुनाता,
कलियां खिल रही हैं।
 
महक रही है क्यारी,
मच रहा उल्लास।
सजी बसंती मचल रही है,
होगा अब उत्पात।
 
मधुर-मधुर बहती हवाएं,
छेड़ रही संवाद।
प्रकृति छटा बिखेर रही,
आया है मधुमास।