पानी पर कविता : कल का जल...
जल ही जीवन जल सा जीवन, जल्दी ही जल जाओगे,
अगर न बची जल की बूंदें, कैसे प्यास बुझाओगे।
नाती-पोते खड़े रहेंगे जल, राशन की कतारों में,
पानी पर से बिछेंगी लाशें, लाखों और हजारों में।
रिश्ते-नाते पीछे होंगे, जल की होगी मारामारी,
रुपयों में भी जल न मिलेगा, जल की होगी पहरेदारी।
हनन करेंगे शक्तिशाली, नदियों के अधिकारों का,
सारे जल पर कब्जा होगा, बाहुबली मक्कारों का।