• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. काव्य-संसार
Written By WD

तुम कहीं मत जाना..

तुम कहीं मत जाना
- सीमा पांडे 'सुशी'

NDND
सुबह जब आएगी
माँगेगी पानी और एक कप चाय
भाग-दौड़ करता फिरेगा समय
घर में भगदड़ होगी
तुम कहीं मत जाना..

तुम चली जाओगी तो
किसकी आहट गूँजेगी

सूने पड़े रहेंगे कमरे
तरसेंगे चूड़ियों की खनखनाहट को
छत पर निश्चिंतता से सूखते कपड़े
तरसेंगे अपनी बुलाहट को
तुम कहीं मत जाना...

तुम्हारे जाने से आँगन हो जाएगा उदास
कौवे-चिड़िया कहाँ जाकर बुझाएँगे प्यास
कौन बुहारेगा नीम की जर्द पत्तियों को
कौन करेगा बाहर सारी मायूसियों को
तुम कहीं मत जाना...

तुम्हारे जाने से
सब कुछ हो जाएगा मृतप्रायः
घर की चीजें पड़ी रहेंगी उदास
मानो या न मानो जी घबराएगा
यह घर-घर नहीं रह जाएगा
तुम कहीं मत जाना...