शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. आलेख
Written By भाषा

जयपुर साहित्य महोत्सव : भारतीय वोट क्यों करते हैं?

जयपुर साहित्य महोत्सव : भारतीय वोट क्यों करते हैं? -
WD


जयपुर। भारतीय नागरिक वोट क्यों करते हैं? उम्मीद में, अपने आसपास के लोगों के दबाव में, किसी प्रोत्साहन की वजह से या सिर्फ इसलिए कि राजनीतिक दल उन्हें ऐसा करने को मजबूर करते हैं? आगामी आम चुनावों में मतदाता क्या कोई चौंकाने वाली चीज करेंगे और यदि ऐसा होगा तो वह क्या होगा? यह चर्चा आज जयपुर साहित्योत्सव के दूसरे दिन हुई। ‘लोकतंत्र वार्ता’ श्रृंखला के तहत ‘भारत वोट क्यों करता है’ विषय पर चर्चा के दौरान उपरोक्त सवाल किए गए।

भाजपा नेता मानवेंद्र सिंह ने कहा, ‘भारतीय नागरिकों को वोट करने के लिए कौन-सी बात प्रेरित करती है या कौन-सी चीज मजबूर करती है? भारतीय वोटर चौंकाने के मामले में बहुत आगे हैं। आप उनकी राजनीतिक सोच को कभी तय मानकर नहीं चल सकते।’

मानवेंद्र सिंह के साथ इस चर्चा में ‘जी न्यूज’ के संपादक सुधीर चौधरी, लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स की प्रोफेसर मुकुलिका बनर्जी और लेखक एवं पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने भी हिस्सा लिया।

FILE

हाल ही में ‘व्हाई इंडिया वोट्स’ नाम की किताब लिखने वाली बनर्जी ने कहा, ‘भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव लोगों द्वारा दुनिया भर में आयोजित कराए जाने वाले किसी भी कार्यक्रम में सबसे बड़ा है। हमारे चुनाव किसी त्योहार से कम नहीं होते जिसमें एक दिन की मुफ्त छुट्टी मिलती है, एक दिन का मुफ्त वेतन मिलता है और इसके अलावा कई और फायदे होते हैं।’ उन्होंने सवाल किया, ‘हम अपने राजनीतिक दलों, लोकतंत्र के तौर-तरीकों की आलोचना करते रहते हैं पर भारतीय बड़ी तादाद में वोट करने के लिए निकलते हैं, ऐसा क्यों?’

सुधीर चौधरी ने कहा कि भारतीय वोटर ताकतवर हैं पर वह यह फैसला करने को लेकर मुश्किल में रहते हैं कि किस पार्टी से पूरे देश को फायदा मिलेगा।

चौधरी ने कहा, ‘यदि आप नरेंद्र मोदी को खरीदते हैं तो वसुंधरा राजे आपको मुफ्त मिलेंगी। यदि आप राहुल गांधी को खरीदते हैं तो अशोक गहलोत आपको मुफ्त मिलेंगे। मतदाता किसी ऐसे एक फैसले को लेकर निश्चिंत कैसे हो सकते हैं जो पूरे देश के लिए फायदेमंद हो?’ चर्चा में हिस्सा लेने वाले लोगों ने कहा कि अपने आसपास के लोगों और समाज के दबाव में भी लोग वोट करने जाते हैं।

मुखोपाध्याय ने कहा, ‘अपने आसपास के लोगों का काफी ज्यादा दबाव रहता है कि आप अपनी अंगुलियों पर स्याही लगवाएं और ऐसा गांवों में भी है।’ (भाषा)