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Written By WD
Last Modified: गुरुवार, 30 जनवरी 2020 (16:37 IST)

कला समीक्षक राजेश्‍वर त्रिवेदी की ‘उत्‍सुक’ का विमोचन

कला समीक्षक राजेश्‍वर त्रिवेदी की ‘उत्‍सुक’ का विमोचन - rajeshwar trivedi
गत दिनों जयपुर  की कलानेरी आर्ट गैलरी में में कला समीक्षक राजेश्वर त्रिवेदी की किताब ‘उत्सुक’ का विमोचन प्रसिद्ध चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय, अखिलेश व कहानीकार लक्ष्मी शर्मा ने किया।  वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित राजेश्वर त्रिवेदी की यह किताब देश के 12 युवा चित्र व शिल्पकारों के साक्षात्कार पर आधारित है। इस किताब की भूमिका में प्रसिद्ध चित्रकार अखिलेश ने लिखा है-

‘मूलतः यह किताब राजेश्वर के कला-प्रेम का परिणाम है। उनकी रुचि न सिर्फ चित्रकला में है बल्कि वे अन्य कलाओं में भी आवाजाही करते हैं। पुस्तक में कलाकारों से बातचीत और कुछ समान प्रश्नों के जवाब से उनकी कला–यात्रा, संस्मरण और दुनियावी समझ को बटोरा गया है। राजेश्वर का यह प्रयास कुछ मायनों में अनूठा है। पहला तो यही कि कला की दुनिया में युवाओं पर एकाग्र यह पहली पुस्तक होगी। अभी तक मेरी नज़र में ऐसी कोई पुस्तक छपी नहीं है। यह पुस्तक रुचि को सम्बोधित है। इन युवा कलाकारों की कलाकतियों की तरफ दर्शक का ध्यान दिलाने का छोटा-सा मगर सार्थक प्रयास राजेश्वर ने किया है।

राजेश्वर कलाकारों से उनके स्टूडियो में जाकर मिले, उनसे बातचीत की और उनका स्वभाव समझते हुए उससे उपजे प्रश्नों से कलाकार के रचनात्मक मन को टटोलने की कोशिश की। इसमें कुछ सफल भी हुए और हमें इन बारह कलाकारों के विचारों में विरोधाभास, अलगाव और साम्यता भी दिखाई देती है। राजेश्वर ने जिस धैर्य और निरन्तरता से इस पर काम किया है वो सराहनीय है और इस उम्मीद का इशारा भी है कि वे इसे जारी रखेंगे। इस पुस्तक में बारह कलाकार हैं जो इन दिनों मध्यप्रदेश के चित्रकला संसार के युवा हस्तक्षेप हैं। इन 12 कलाकारों में एक कलाकार जयपुर, राजस्थान से हैं-अमित हरित। यह पुस्तक इन युवा कलाकारों के भीतर झांकने का मौका देती है। बहुत खूबसूरत तरीके से राजेश्वर यह सब कर सके और हमें इन कलाकारों के रचने, गढ़ने, पढ़ने, भटकने, मटकने, आत्मरति और दुनिया के साथ उनका सम्बन्ध जानने का मौका मिलता है।

लेखक के बारे में
12 नवम्बर 1972 को इन्दौर में जन्‍में राजेश्वर त्रिवेदी मित्रों की सोहबत में रहकर पढ़ने और विभिन्न कला माध्यमों को देखने, जानने व सीखने का प्रयास लगातार रहा। हिन्दी के अनेक समाचार-पत्र, पत्रिकाओं के लिए पत्रकारिता करते हुए चित्रकार अम्बादास, रंगकर्मी हबीब तनवीर व रामगोपाल बजाज, पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र, नृत्यांगना गीताचन्द्रन, लोकगायक प्रहलाद सिंह टिपाणियां व प्रसिद्ध गायिका कलापिनी कोमकली आदि विभिन्न कलानुशासनों और सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर लेखन। साथ ही इन विशेषज्ञों से समय-समय पर संवाद। दृश्यकला के प्रति विशेष रुझान के चलते देश-विदेश में हुई कई कला प्रदर्शनियों के लिए कैटलॉग लेखन किया जिनमें 1997 में नयी दिल्ली की गैलरी 'आर्ट टुडे' में आयोजित चित्र प्रदर्शनी 'यंग इन्दौर', जिसको प्रसिद्ध चित्रकार मक़बूल फ़िदा हुसेन ने संयोजित किया था, के ऊपर लेख । इसके अतिरिक्त तीन चर्चित कला प्रदर्शनियाँ जिन्हें चित्रकार अखिलेश ने संयोजित किया था, 'अमूर्त' 2007 आकार-प्रकार गैलरी कोलकाता, 'मध्यावर्त' 2008 आइकॉन गैलरी, पालो ऑल्टो, सेन-फ्रांसिस्को व रजा फाउण्डेशन द्वारा आयोजित युवा चित्रकारों की प्रदर्शनी 'मध्यमा 2018 श्रीधराणी आर्ट गैलरी, नयी दिल्ली के लिए कैटलॉग लेखन प्रमुख हैं। फिलहाल देश के पुराने कला संस्थानों में से एक 1927 में दत्तात्रेय दामोदर देवलालीकर द्वारा स्थापित इन्दौर स्कूल ऑफ आर्ट्स पर शोधपरक किताब का लेखन कार्य जारी है।