- अथर्व पंवार
"भिया राओम"
यह शब्द इंदौरी बोली की पहचान है। किसी परिचित से मिलने पर या किसी से संवाद बढ़ने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसलिए इस आलेख का आरम्भ भी इसी से हुआ।
इंदौर अपनी स्वच्छता और व्यंजन के साथ साथ यहां की बोली के लिए भी जाना जाता है। किसी के बोलने के तरीके और इंदौरी शब्दों के चयन से एक पक्के इंदौरी को ब्रह्माण्ड में कहीं भी पहचाना जा सकता है। यहां की बोली में आपको कटाक्ष और व्यंग्य का बहुत ही रोचक मिश्रण सुनने-पढ़ने को मिलता है। जैसा कि विश्व में ज्ञात है कि इंदौरी भैया को 'भिया' और रहा को 'रिया' कहते हैं ,चलिए जानते हैं ऐसी ही कुछ इंदौरी शब्दों को -
तीरभिन्नाट - बहुत वेग से - "भिया वो तो पुलिस को देक(देख) के ऐसा तीरभिन्नाट निकला कि पुछोई(पूछो ही) मत"
बारीक - दुबला पतला या छोटा - "ए बारीक , जादा(ज्यादा) तेज मत चल"
1760 - यह एक ऐसा नंबर है जिसके कहने पर आपको अनुप्रास अलंकार मिलता है। चूँकि इंदौरी कई बार अतिश्योक्तिपूर्ण कटाक्ष करता है तो यह उपयोग करते हैं। आजतक पता नही चला कि यह अंक आया कहां से। - "अरे उसको नी(नहीं) बुलाना , उसके पास पेले(पहले) ई(ही) 1760 बहाने रेते(रहते) हेंगे(हैं)"
डिजाइन - झूठ/बहाना/मुर्ख बनाना - "अरे वो काका इत्ती(इतनी) डिजाइन डाल रिए(रहे) थे , मेने(मैंने) कहा कि मेको(मुझे) आपकी डिजाइन समझ आ री(रही) है।"
बड़े - बड़े भाई, यार - "ओ बड़े, क्या यार दिखी(दिख ही) नी(नहीं) रिए(रहे) हो , ईद के चांद हो रिए(रहे) हो इसकी बारा(12) बजाऊं।"
एबला - शरारती/खुराफाती - "अरे वो छोटू भोत(बहुत) एबला हेगा(है) , उसने एबलाई में उसके पेट्रोल टैंक में पानी भर दिया था।"
इन्ही के साथ इंदौरी अनुप्रास अलंकार में शब्दों के साथ एक और शब्द जोड़ देते हैं , वह एक ही शब्द बोले तो यह आपका सौभाग्य है। जैसे - गीला गच्च , पीला पट्ट , काला कट्ट....
कुछ ऐसे भी शब्द जोड़े जाते हैं जो पहले के शब्द की विशेषताएं बताते हैं इनमें आपको समास का उपयोग दिख जाता है। जैसे - ठंडा गार ( गारे के सामान ठंडा ) , गरम आग ( आग के सामान गरम ) , सफेद झग ( झाग के समान सफेद )
इसी के साथ ऐसे न जाने कितने ही शब्द है। जिन्हें जानने के लिए आपको इंदौर की सड़कों पर घूमना पड़ेगा। आड़ा बाजार,सराफा,मारोठिया,राजवाड़ा,क्लॉथ मार्केट,सरवटे बस स्टैण्ड इत्यादि ऐसे प्रमुख स्थान है जहां आपको इंदौरी शब्दकोश के अनेक शब्द मिल जाएंगे।