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Written By WD

..जब कांप उठा था जलियांवाला बाग

..जब कांप उठा था जलियांवाला बाग - Jaliyanwala bagh
भारतीय स्वाधीनता संग्राम का इतिहास ब्रितानिया हुकूमत के जुल्मों की कहानियों से भरा पड़ा है और ऐसी ही एक कहानी है अमृतसर के जलियांवाला बाग की, जब एक गोरे अफसर के आदेश पर सैकड़ों भारतीयों को मौत के घाट उतार दिया गया था

 आधुनिक इतिहास के सबसे नृशंस हत्याकांडों में शुमार तेरह अप्रैल 1919 का दिन वह तवारीखी लम्हा है, जब बैसाखी के दिन हजारों लोग रोलेट एक्ट और राष्ट्रवादी नेताओं सत्यपाल एवं डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में जलियांवाला बाग में एकत्र हुए थे तथा जनरल रेजीनल्ड डायर ने पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओड्वायर के आदेश पर अंधाधुंध गोलीबारी कर इनमें से सैकड़ों को मौत की नींद सुला दिया था।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चमन लाल के अनुसार जलियावांला बाग की सभा हिन्दू-मुस्लिम एकता की भी प्रतीक थी और ब्रितानिया हुकूमत इसके आयोजन को लेकर बुरी तरह घबराई हुई थी। उसने इस सभा को विफल करने के हरसंभव प्रयास किए लेकिन सफलता नहीं मिली।

सभा में भाग लेने मुंबई से अमृतसर आ रहे महात्मा गांधी को पलवल के रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन सभा को रोक पाने में असफल रहने पर पंजाब के गवर्नर माइकल ओड्वायर ने जनरल डायर से कहा कि वह भारतीयों को सबक सिखा दें।

गवर्नर का आदेश पाकर डायर ने अपने सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग को घेर लिया और वहां मौजूद लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। उनके अनुसार लोगों को भागने का मौका भी नहीं मिल पाया, क्योंकि बाग तीन ओर से ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा था और इसमें प्रवेश तथा निकास का एक ही छोटा-सा रास्ता था। डायर के कारिन्दों की बंदूकें तब तक गरजती रहीं जब तक कि गोलियां खत्म नहीं हो गईं।

इस घटना में सैकड़ों लोग मारे गए, लेकिन इसका सही-सही आंकड़ा कभी सामने नहीं आ पाया। कांग्रेस की उस समय की रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना में कम से कम एक हजार लोग मारे गए और दो हजार के करीब घायल हुए।

सरकारी आंकड़ों में मरने वालों की संख्या 379 बताई गई, लेकिन पंडित मदन मोहन मालवीय के अनुसार इस नृशंस कत्लेआम में 1300 लोग मारे गए थे। स्वामी श्रद्धानंद ने मरने वालों की संख्या 1500 से अधिक बताई थी।

अमृतसर के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. स्मिथ के अनुसार भी इस घटना में 1500 से अधिक लोग मारे गए। पार्क में लगी पट्टिका पर लिखा है कि लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए बाग में स्थित कुएं में छलांग लगा दी। अकेले इस कुएं से ही 120 शव बरामद हुए।

ब्रिटेन के कुछ अखबारों ने उस समय इसे आधुनिक इतिहास का सबसे नृशंस कत्लेआम करार दिया था। बाद में इस घटना के लिए जिम्मेदार ब्रितानी अफसरों का भी बुरा हाल हुआ। जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय सभा में पानी पिलाने का काम करने वाले उधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन में माइकल ओड्वायर को गोलियों से उड़ा दिया और जनरल डायर बीमारियों के चलते तड़प-तड़प कर मर गया। (भाषा)