यह हर आयु के नर-नारियों के लिए गुणकारी है। चुम्बकों के माध्यम से इलाज इतना सीधा-सादा है कि यह किसी भी समय, किसी भी स्थान पर और शरीर के किसी भी अंग पर आजमाया जा सकता है। पुरुष हो या स्त्री, जवान हो या बूढ़ा, सभी इससे लाभान्वित हो सकते हैं।
चुम्बकत्व से रक्तसंचार सुधरता है
कुछ समय तक चुम्बक लगातार शरीर के संपर्क में रहे तो शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है, उसकी सारी क्रियाएँ सुधर जाती हैं और रक्तसंचार बढ़ जाता है। इस कारण सारे शरीर को शक्ति मिलती है, रोग दूर होने में सहायता मिलती है, थकावट और दुर्बलता दूर होती है, जिससे रोगी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करता है और शरीर के प्रत्येक अंग की पीड़ा और सूजन भी दूर हो जाती है।
कुछ मामलों में लाभ बड़ी तेजी से
यह पद्धति इतनी शक्तिशाली है और इसका प्रभाव इतनी तेजी से पड़ता है कि कई बार एक ही बार चुम्बक लगाना रोग को सदा के लिए समाप्त करने के लिए काफी होता है। कई मामलों में दूसरी बार चुम्बक लगाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। जैसे कि दाँत की पीड़ा और मोच आदि में।
पहले से तैयारी जरूरी नहीं
एक ही चुम्बक का अनेक व्यक्ति उपयोग कर सकते हैं। उन्हें साफ करने, धोने या जंतुरहित बनाने की आवश्यकता नहीं होती। यद्यपि त्वचा के संक्रामक रोग की चिकित्सा में जिस चुम्बक का उपयोग हुआ हो, उसकी सफाई करनी पड़ती है। यदि महीन कपड़े के आवरण का उपयोग किया हो तो चुम्बक की सफाई का कोई प्रश्न ही नहीं रहता, केवल कपड़े को साफ करना पर्याप्त होता है।
इसकी लत नहीं पड़ती
चुम्बक के उपचार की आदत नहीं पड़ती और उसका उपयोग अचानक बंद कर दिया जाए तो भी कोई मुश्किल खड़ी नहीं होती।
चुम्बक शरीर से पीड़ा को खींच लेता है
प्रत्येक रोग में कोई न कोई पीड़ा अवश्य होती है। पीड़ा चाहे किसी कारण से हो, चुम्बक में उसे घटाने, बल्कि समाप्त तक करने का गुण है। उसकी सहायता से शरीर की सारी क्रियाएं सामान्य हो जाती हैं। इसी कारण सभी रोगों पर चुम्बकों का प्रभाव पड़ता है, पीड़ा दूर हो जाती है और शरीर की क्रियाओं के विकार ठीक हो जाते हैं।
यौवन को बनाए रखने का साधन
चुम्बकों का उपयोग करने वाले को चुम्बक ताजगी, शक्ति और यौवन प्रदान करते हैं। ये शरीर में होने वाले वृद्धावस्था के परिवर्तनों की गति को मंद करते हैं। कुछ उदाहरणों में तो इस चिकित्सा से सफेद बाल काले होते देखे गए हैं।