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Written By Author नेहा रेड्डी

उन 'खास' दिनों का दर्द समझा महिला पुलिस अफसर ने, पैदल जातीं महिलाओं को बांटे सैनिटरी पैड

उन 'खास' दिनों का दर्द समझा महिला पुलिस अफसर ने, पैदल जातीं महिलाओं को बांटे सैनिटरी पैड - Indore Police
कोरोना वायरस महामारी से जो देश की स्थिति है, उससे हम सभी वाकिफ हैं। देश में लॉकडाउन का वक्त चल रहा है। प्रवासी मजदूर अपने गांव तक पहुंचने के लिए लंबी-लंबी दूरी तय कर रहे हैं ताकि वे अपने घर पर पहुंच पाएं और अपने परिवार को दो वक्त की रोटी तो दे सकें। लेकिन इन सब समस्याओं के बीच एक ऐसी भी चीज है जिसके लिए महिलाओं को संघर्ष करना पड़ रहा है और शायद ही महिलाओं की इस परेशानी पर किसी का ध्यान गया हो?
 
जरा सोचिए! इस वक्त महिलाएं भी अपने परिवार के साथ लंबी दूरी तय कर रही हैं और माहवारी के दौरान जो परेशानी उत्पन्न होती है, उसका क्या? वो तो महिला है और उन्हें कोरोना जैसी परेशानियों के साथ-साथ हर महीने होने वाले 'उस दर्द' और 'उस परेशानी' से भी निपटना है और इसका सामना भी वे डटकर कर रही हैं। अपने गांव तक की पैदल दूरी तय करते समय यदि मासिक धर्म शुरू हो जाए तो गंदे कपड़े का इस्तेमाल कर वे बिना अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बस चले जा रही हैं।
 
विडंबना यह है कि महीने के 'उन दिनों' के बारे में लोग न तो खुलकर बात कर पाते हैं और न ही इसके बारे में सही जगह से जानकारी जुटाने की कोशिश करते हैं। परिवार के सदस्यों को यह भी नहीं पता कि महिला जिस पोटली में से गंदा कपड़ा निकालकर इस्तेमाल कर रही है, उससे उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। महिलाएं माहवारी के दौरान जिस कपड़े को प्रयोग में लाती हैं, इसकी वजह से उन्हें हेपटाइटिस-बी, सर्वाइकल कैंसर, प्रजनन क्षमता में प्रभाव से लेकर कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
 
महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन सहित अन्य जरूरी चीजों के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है और सैनिटरी पैड्स जैसी जरूरी चीज न होने के कारण गंदे कपड़े के इस्तेमाल से उनके स्वास्थ्य पर इतना बुरा प्रभाव पड़ सकता है जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। कोरोना काल में इस समस्या पर शायद उनके परिवार के सदस्यों ने भी गौर नहीं किया होगा।
 
लेकिन इन सबके बीच मानवता की मिसाल पेश करते हुए इंदौर पुलिस एक बार फिर सामने आई है। इन विपरीत परिस्थितियों के समय खाने-पीने की व्यवस्था के साथ-साथ महिलाओं को माहवारी के दौरान गंदे कपड़े के इस्तेमाल से जो समस्या हो सकती है, उन्हें ध्यान में रखते हुए सैनिटरी नैपकिन उन महिलाओं को मुहैया करवाए जा रहे हैं, जो माहवारी में इस्तेमाल किए जाने वाले और हाइजीन के लिए जरूरी इन सैनिटरी पैड्स को खरीद पाने में असमर्थ हैं।
 
महिला होने के नाते इस समस्या को समझा उपनिरीक्षक पद पर थाना राऊ में पदस्थ अनिला पराशर ने। अनिला ने 'वेबदुनिया' से खास बातचीत में बताया कि लॉकडाउन लगने के बाद से हमारे थाना प्रभारी दिनेश वर्मा गुर्जर के नेतृत्व में मास्क, सैनिटाइटर, भोजन पैकेट, पानी की बॉटलें, ग्लूकोज, ओआरएस आदि चीजें वि‍तरित की गईं।
 
इस दौरान चेकिंग में जब बायपास पर ड्यूटी लगी तब हमने देखा कि कितने ही राज्यों और जिलों से गुजर रहे प्रवासी मजदूरों के पैरों में चप्पलें तक नहीं थीं। उस समय थाना प्रभारी और हम सभी ने मिलकर यह निर्णय लिया कि प्रवासी मजदूरों की इस वक्त मदद करना बेहद जरूरी है। उसके बाद थाने के स्टाफ द्वारा अपनी सैलरी से कलेक्शन करके उसे हमने प्रवासी मजदूरों के लिए चप्पल और उनकी जरूरत की चीजों को वितरित करना शुरू किया।
 
इसी दौरान जब प्रवासी मजदूर खासकर जब महिलाओं से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अपने गांव तक पहुंचने का सफर तय करते हुए उन्हें 7 से 15 दिन हो जाते हैं और इस दौरान उन्हें माहवारी की समस्या से भी गुजरना पड़ता है और ऐसे में कोई व्यवस्था न होने के कारण अपने पोटली में बंद कपड़े का ही इस्तेमाल मजबूरन करना पड़ता है।
 
अनिला आगे कहती हैं कि एक महिला होने के नाते मैं इस बात को बहुत अच्छी तरह समझती हूं, क्योंकि ऐसे समय पर ही गंदे कपड़े के इस्तेमाल से महिला को घातक बीमारी भी हो सकती है और आज की गलती इन महिलाओं को भविष्य में होने वाले बीमारी की चपेट में भी ला सकती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने सेनिटरी नैपकिन को उन महिलाओं तक पहुंचाना जरूरी समझा।
 
थाना प्रभारी दिनेश वर्मा और हमारे स्टाफ के साथ मिलकर हमने कलेक्शन किया और प्रवासी मजदूर महिलाओं को सैनिटरी पैड वितरित करने शुरू किए। अभी तक हम 1,200 से 1,500 तक सैनेटरी नैपकिन वितरित कर चुके हैं। इसी के साथ ही जब मैं यह वितरित कर रही थी तो उस समय मैंने महिलाओं में हिचक भी देखी। जब मैं उन्हें सैनिटरी नैपकिन दे रही थी, उस दौरान वे बहुत संकोच और झिझक महसूस कर रही थी, जो इस बात को दर्शाता है कि महिलाएं आज भी माहवारी के बारे में बात करने या सैनिटरी पैड के इस्तेमाल को लेकर कहीं-न-कहीं झिझक महसूस करती हैं।
 
आज भी महिलाएं माहवारी के दौरान सिर्फ झिझक के कारण कपड़े का इस्तेमाल कर अपनी सेहत को नजरअंदाज करने के लिए भी तैयार हैं। महिला के स्वास्थ्य को गंभीरता से लेते हुए 'वेबदुनिया' ने  डॉक्टर स्वाति सिंह परिहार (एमडी) से बात की और उनसे जाना पीरियड्स के दौरान गंदे कपड़े के इस्तेमाल से महिलाओं को क्या परेशानियां हो सकती हैं।
 
डॉक्टर स्वाति बताती हैं कि मासिक धर्म में गंदा कपड़ा इस्तेमाल में लाने से संक्रमण होने का खतरा बना रहता है इससे बच्चा न होने की समस्या (Infertility) हो सकती है। बच्चेदानी में संक्रमण होने के कारण मासिक धर्म के दौरान खून का अधिक रिसाव होने से शरीर में खून की कमी भी हो सकती है इसलिए माहवारी के दौरान हाइजीन का पूरा ध्यान रखना आवश्यक होता है।