'साधारण' के नाम का, नवसंवत्सर है वर्ष,
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, नूतन-नवल-सहर्ष।
राजा मंगल जानिए, मंत्री गुरु का साल,
समरसता जग में बढ़े, होंगे नहीं बवाल।
विश्व गुरु बनने चला भारत, फिर एक बार,
सुख-समृद्धि आगे बढ़े, हो सबका बेड़ा पार।
प्रगतिशील हर क्षेत्र में, भारत ज्ञान-सुजान,
डंका पिटेगा विश्व में, मिले अमित सम्मान।
मंगल को हनु जयंती, मंगल नवमी राम,
मंगल संवत्सर शुरू, मंगल हों सब काम।