गुड़ी पड़वा का पर्व इस बार 25 मार्च, बुधवार को मनाया जा रहा है। यह एक ऐसा पर्व है, जिसकी शुरुआत के साथ सनातन धर्म की कई सारी कहानियां जुड़ी हैं। इस बार नव संवत्सर 2077 का स्वामी बुध है। इस संवत्सर का नाम प्रमादी है।
इस संवत्सर का नाम प्रमादी है तथा वर्ष 2077 है। साथ ही यह श्री शालीवाहन शकसंवत 1942 है और इस शक संवत का नाम शार्वरी है।
नव संवत्सर का राजा (वर्षेश) नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी भी मानते हैं। 2020 में हिन्दू नव वर्ष बुधवार से आरंभ हो रहा है, अतः नए संवत का स्वामी बुध है।
नवरात्रि बुधवार से शुरू होगी अगले सप्ताह गुरुवार को खत्म होगी। प्रमादी संवत् के राजा बुध और मंत्री चंद्र होंगे। बुध और चंद्र आपस में शत्रु भाव रखते हैं। ऐसे में मंत्री और राजा के बीच मतभेद होने से प्रजा को कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय संस्कृति में गुड़ी पड़वा को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को विक्रम संवत के नए साल के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि से पौराणिक व ऐतिहासिक दोनों प्रकार की ही मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र प्रतिपदा से ही ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी तरह के उल्लेख अथर्ववेद और शतपथ ब्राह्मण में भी मिलते हैं। इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होती हैं।
मुहूर्त - संवत 2077 शुरु
मार्च 24, 2020 को 14:59:33 से प्रतिपदा आरंभ
मार्च 25, 2020 को 17:28:39 पर प्रतिपदा समाप्त
1. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो, उस दिन से नव संवत्सर आरंभ होता है।
2. यदि प्रतिपदा दो दिन सूर्योदय के समय आ रही हो तो पहले दिन ही गुड़ी पड़वा मनाते हैं।
3. यदि सूर्योदय के समय किसी भी दिन प्रतिपदा न हो, तो तो नव-वर्ष उस दिन मनाते हैं जिस दिन प्रतिपदा का आरंभ व अंत हो।
गुडी पड़वा पर करें ये खास काम
नव वर्ष फल श्रवण (नए साल का भविष्यफल जानना)
nav samvatsar 2077 : तैल अभ्यंग (तेल से स्नान) :
निम्ब-पत्र प्राशन (नीम के पत्ते खाना) :
ध्वजारोहण
गुड़ी निर्माण
घटस्थापना