गोवा चुनावों में चर्च भी सक्रिय
पणजी। गोवा का चर्च फरवरी माह में होने वाले विधानसभा चुनाव में सही उम्मीदवार के चुनाव के लिए ईसाई समुदाय के लोगों के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा ताकि वे सही उम्मीदवार को वोट दे सकें।
हालांकि चर्च ने स्पष्ट किया था कि वह किसी पार्टी या प्रत्याशी की पैरवी नहीं करेगा। लेकिन पिछले वर्ष गोवा के आर्कबिशप दमन रेव फिलिप नेरी फेराओ ने क्रिसमस के एक पारंपरिक भोज के दौरान अपने संबोधन में कहा था कि हम अपने वफादार अनुयायियों को दिशा-निर्देश देकर उन्हें अपने नागरिक अधिकारों का पालन करने को कहेंगे।
उन्होंने बताया कि गिरिजाघरों में इन दिशा-निर्देशों को सबके सामने पढ़कर सुनाया जाता है। इसमें किसी प्रत्याशी या पार्टी का नाम नहीं लिया जाता है। हालांकि आर्कबिशप का कहना था कि ईश्वर में आस्था रखने वाले अपनी इच्छा के अनुरूप ही वोट डालें।
उन्होंने यह भी कहा था कि भारत में चर्च पर धर्मांतरण कराने के आरोप लग रहे हैं, हमारे धर्मस्थलों पर हमले हो रहे हैं, उन्हें लूटा व जलाया जा रहा है लेकिन ऐसे अपराध करने वाले अक्सर आजाद घूम रहे हैं। यह ऐसा ही है, जैसे महज 3 फीसद लोग पूरे देश के लिए खतरा बन रहे हैं। अवैध खनन के एक मामले पर उन्होंने कहा कि चर्च इस जमीन का ट्रस्टी है।
चर्च के इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा और गोवा की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर आदि भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि जिस तरह से भारत में अब तक मदरसों और मस्जिदों से मुसलमानों के लिए वोट किसे देना है तय किया जाता था, पहली बार ऐसी कोई स्थिति भारत के किसी गिरिजाघर से देखने को मिलेगी।
इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बागी नेता सुभाष वेलिंगकर ने गोवा के चर्च पर सरकारी राजनीति में दखल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले ही अपनी सरकार आर्कबिशप के निर्देशों पर चला रही है। आर्कबिशप को राज्य की राजनीति में दखल देना बंद करना चाहिए।
वेलिंगकर ने भाजपा नीत सरकार से मतभेद होने के बाद गोवा सुरक्षा मंच नामक अलग दल बनाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने 2012 के चुनावों में चर्च को अपने 5 प्रत्याशी दिए थे और संभव है कि चर्च की ओर से खास प्रत्याशियों को चुनने या न चुनने का निर्देश जारी किया जाए।